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दिल्ली दंगों के चश्मदीद ने बताई खौफनाक कहानी, पढ़िए रिपोर्ट

दिल्ली दंगों को 1 साल पूरे हो गए हैं और इसी बीच जन की बात के संस्थापक प्रदीप भंडारी ने कुछ चश्मदीद लोगों से बात की और उनसे उनका दर्द जाना। इस दौरान एक सज्जन मिले जिन्होंने दिल्ली दंगों में अपनों को खोया है और उन्होंने बताया कि 1 साल पूरे होने पर अभी भी उनको कैसा महसूस होता है। साथ ही साथ उन्होंने उस दंगे की खौफनाक कहानी भी बताई जो कि सुनकर हर कोई सहम जायेगा।

 

उन्होंने बताया कि “वो लोग तो जल्लाद लोग थे जी, जिस ढंग से मारे थे, ठीक नही किए है। ये करके क्या मिल जायेगा, जिस ढंग से बोलते है, करते हैं, हंसते हैं , गरीब आदमी हर जगह मारा जाता है जी।उन लोग का क्या है, वो तो अपना सिस्टम बनाए रखें है, गरीब का क्या है बच्चे हैं ,पेन मांगते रहे, बहलाए रहे। 1000 ,500 पकड़ा देते हैं। दो हजार पकड़ा देते हैं लेकिन हजार, 500 की जिंदगी है क्या? मां बाप इतनी मेहनत से बच्चों को पालते हैं, चाहे बड़े आदमी हो या छोटे, यही चाहते हैं कि उनका बच्चा सलामत रहे। पता नहीं झगड़े से क्या मिलता है?

सवाल – पहले भी आपने ऐसी घटनाएं देखी?

पहले कभी ऐसी घटनाएं नहीं देखी। 45 साल से ऊपर का हूं लेकिन ऐसा नहीं देखा। जिस ढंग से उन्होंने किया यह ठीक नहीं किया। डर लगा रहता है बगल में रहता हूं रोड पर रहता हूं ,अब नहीं है कि मैं कुछ करता हूं, बस लोगों को अपना जलवा दिखाई देता है। चार बच्चे हैं कुछ पढ़ाने लिखाने का नहीं, हमारे पूर्वज अनपढ़ रह गए, बाप दादा अनपढ़ रह गए, हमारे बच्चे हैं समझ नहीं आता कि कैसे पढ़ाएं। काम करता हूं ,उसमें भी लोग उंगली करते हैं कि कैसे खा रहा है। रोटी कैसे खाता है। यहां काम करना भी गुनाह हो गया धरती पर।”

इस तरीके से दिल्ली दंगों के चश्मदीद ने अपनी खौफनाक कहानी बताई और उन्होंने बताया कि कैसे उन दंगों को याद कर आज भी उनका दिल सहम जाता है। पीड़ितों को अभी भी न्याय का इंतजार है। 1 साल बीत गए हैं लेकिन अभी तक उन्हें पूर्ण रूप से न्याय नहीं मिला है।

 

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