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प्रदीप भंडारी के जलियांवाला बाग नवीनीकरण से दिक्कत वाले सवाल पर लेखक के पास नहीं था कोई जवाब

तोषी मैंदोला, जन की बात

जलियांवाला बाग की नवीनीकरण को लेकर कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है और इसी के साथ राहुल गांधी ने जलियांवाला बाग नवीनीकरण को शहीदों का अपमान बताया। इसी को लेकर “जनता का मुकदमा” कार्यक्रम में जनता के वकील बने प्रदीप भंडारी ने लड़ा शहीदों के सम्मान का आज का यह खास मुकदमा। प्रदीप भंडारी ने कार्यक्रम में कहा कि जलियांवाला बाग नवीनीकरण से देश की जनता अंग्रेजों की बर्बरता और हमारी स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान के बारे में जानेंगे तो इसे राहुल गांधी को क्या परेशानी हो सकती है।

कार्यक्रम की शुरुआत में प्रदीप भंडारी ने कहा कि मैं नवीनीकरण के पक्ष में हूं क्योंकि समय के साथ इमारत की मरम्मत करने की जरूरत होती है। कार्यक्रम में प्रदीप भंडारी के साथ लेखक रतन शारदा और लेखक सलील मिश्रा भी मौजूद रहे। प्रदीप भंडारी ने शहीदों के सम्मान को लेकर लेखक रतन शारदा से सवाल करते हुए पूछा कि क्या हमने जलियांवाला बाग नवीनीकरण में मूल भाव को खो दिया है। क्या सौंदर्यीकरण से जलियांवाला बाग की यादें हमने खो ही है। लेखक रतन शारदा ने प्रदीप भंडारी के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 50 साल से ज्यादा हो गया है जलियांवाला बाग पर कुछ काम नहीं हुआ है। मैं बचपन में वहां गया था तब उसकी हालत बहुत खराब थी। इसके अलावा मैं तीन- चार साल पहले भी जलियांवाला बाग गया था उसकी हालत बद से बदतर दिखाई दे रही थी। जलियांवाला बाग की कोई व्यवस्था नहीं थी और अगर आप कहते हो कि इसकी मूल व्यवस्था ये है तो यह बहुत शर्मनाक बात है। कांग्रेस ने जलियांवाला बाग को राष्ट्रीय इमारत नहीं बल्कि प्राइवेट प्रॉपर्टी बनाकर रखा हुआ था। लेकिन आपने इतने साल किया। मोदी जी के आने के बाद कई राष्ट्रीय स्मारक बनाए गए हैं और उसी की तर्ज पर जलियांवाला बाग का नवीनीकरण किया गया है। जिस में रंग बिरंगे फूल हैं, गाना है लेकिन कांग्रेस हर बात में सिर्फ विरोध ही जताती है।

आगे प्रदीप भंडारी ने लेखक सलील मिश्रा से सवाल करते हुए पूछा कि अगर नवीनीकरण से लोगों को ज्यादा जानने को मिल रहा है लोग इसके बारे में ज्यादा पढ़ेंगे तो इससे किसी भी पार्टी या किसी को भी क्या दिक्कत हो सकती है। भंडारी की दलील का जवाब देते हुए लेखक सलील मिश्रा ने कहा कि नवीनीकरण के विरोध में हम नहीं है लेकिन सरकार को जलियांवाला बाग का इतिहास, पंजाब की विरासत, राष्ट्रवाद की विरासत और स्पिरिट को ध्यान में रखते हुए नवीनीकरण करना चाहिए था। उसका जो इतिहास है उसे वैसे ही बरकरार रखना चाहिए था। मिश्रा ने आगे कहा कि रिनोवेशन तो इसका बिल्कुल होना चाहिए था लेकिन इतिहास को हमें नहीं भूलना चाहिए।

प्रदीप भंडारी ने आगे कहा कि जलियांवाला बाग नवीनीकरण को लेकर तैयार की गई कमेटी के अंदर देश के प्रधानमंत्री, प्रेसिडेंट ऑफ नेशनल कांग्रेस, चीफ मिनिस्टर ऑफ पंजाब अमरिंदर सिंह, गवर्नर स्टेट ऑफ पंजाब और भी कई बड़े राजनेता शामिल है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह जो फौजी भी रहे हैं वह बेहतर ही पंजाब की संस्कृति के बारे में जानते हैं उन्होंने भी जलियांवाला बाग नवीनीकरण का स्वागत किया है। ऐसी क्या चीज है या ऐसा क्या इतिहास है जो जलियांवाला बाग से हट गया है इसको लेकर तमाम पार्टियों को परेशानियां हो रही हैं।

डिबेट के दौरान प्रदीप भंडारी ने नवीनीकरण को लेकर सलील मिश्रा का पक्ष जानने की कोशिश की इस संदर्भ में सलीम मिश्रा यह कहते हुए दिखाई दिए कि मुझे मुझे स्पेसिफिक इस मुद्दे और नवीनीकरण के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन मैं बस यही कहूंगा कि पंजाब की विरासत और राष्ट्रवाद का इतिहास को हमें बरकरार रखना चाहिए था।

 

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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