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जन की बात सर्वे: क्या उत्तराखंड की जनता अपने विधायकों से नाराज है?

रिषभ सिंह, जन की बात

प्रदीप भंडारी और उनकी टीम जन की बात ने उत्तराखंड चुनाव के पहले एक बड़ा सर्वे किया। इस सर्वे में जन की बात ने जनता से यह जानने की कोशिश की कि अगर अभी चुनाव होते हैं तो उत्तराखंड की जनता किसे चुनेगी और उत्तराखंड की जनता के लिए क्या-क्या मुख्य मुद्दे हैं? आपको बता दें कि यह सर्वे 20 सितंबर 2021 से लेकर 26 सितंबर 2021 के बीच हुआ। सर्वे के दौरान जन की बात की टीम ने करीब 2000 लोगों से बात की और उसके बाद एक विस्तृत सर्वे प्रस्तुत किया।

उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. इसी दौरान सबसे सही , सबसे सटीक और सबसे एक्सक्लूसिव सर्वे जन की बात ला रहा है। इस सर्वे में उत्तराखंड की जनता से एक सवाल पूछा गया और वह सवाल था कि, ‘क्या उत्तराखंड में सत्ताधारी दल के खिलाफ लहर है’? इस पर उत्तराखंड की जनता ने जन की बात के माध्यम से देश के सामने चौकाने वाले आंकड़े रखे है। आंकड़े कुछ ऐसे हैं कि उत्तराखंड में विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पूछने पर 60% लोगों ने हां और 28% लोगों ने ना कहा वहीं 12% लोगों ने कहा अभी नहीं कह सकते।

इसकी वजह कई प्रकार की हैं, जैसे विकास,महंगाई,भ्रष्टाचार और शिक्षा। हर चुनाव में सत्ता विरोधी लहर होना लाजमी है लेकिन विधायक के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर इतने भारी प्रतिशत से होना बीजेपी के लिए चिंता का विषय हो सकता है और विरोधी दल को थोड़ी राहत की सांस लेने का मौका दे सकता है। उत्तराखंड में चुनाव 4 महीने बाद होने वाले हैं और अभी से ही वहां की जनता के मूड से दिख रहा है कि वह सरकार से खुश है लेकिन उसके साथ साथ वहां पर सत्ता विरोधी लहर भी है ,इस बात को ठुकराया नहीं जा सकता। जन की बात का यह सर्वे सबसे सटीक और सबसे सच्चा सर्वे है। जन की बात की टीम ने वहां ग्राउंड में जाकर वहां के लोगों से बात की, एक एक गांव और शहर जाकर पता किया और फिर सर्वे के आंकड़े दिए। आगे की चुनाव में यह देखने की बात होगी कि विधायक के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का कितना प्रभाव पड़ सकता है।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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