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प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लेने के फैसले के बाद देखिए नेताओं की प्रतिक्रिया

ऋषभ सिंह, जन की बात

अगले साल पांच राज्यों- यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनाव के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करके देश की पूरी राजनीति की धारा मोड़ दी है। इसके साथ ही किसान आंदोलन और फार्म लॉ सोशल मीडिया पर ट्रेंड पकड़ गए हैं। मोदी ने जैसे ही गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती पर आज यानी 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया, किसान आंदोलन और फार्म लॉ और टिकैत सोशल मीडिया पर ट्रेंड पकड़ गए। मोदी ने अपने 18 मिनट के संबोधन में कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को नेक नीयत के साथ लाई थी, लेकिन यह बात हम किसानों को समझा नहीं पाए। हम किसानों को समझा नहीं पाए कि ये छोटे किसानों को ताकत देगा। अब इन्हें वापस लेने सदन में प्रक्रिया पूरी कराएंगे। गुरु पर्व पर आंदोलन करने वाले किसानों से अपील करेंगे कि वे अपने-अपने घर जाएं।

किसान बिल वापस लेने पर नेताओं की क्या है प्रतिक्रिया:

उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि किसान 11 महीने से आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान करीब 700 किसानों की मौत हो गई। देर आए दुरुस्त आए। भारत सरकार ने अपनी गलती स्वीकार की और कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया। मैं इसका स्वागत करता हूं। सरकार को उन 700 परिवारों की भी मदद करनी चाहिए जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया, जैसा कि पंजाब सरकार ने किया।

वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की प्रधान बीबी जागीर कौर ने श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले पर केंद्र सरकार का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि आज गुरु नानक साहिब ने उनके मन में बस कर कानून वापस करवाए। इसके लिए गुरु नानक साहिब का लाख-लाख धन्यवाद। सरकार का इसलिए धन्यवाद कि उन्होंने गुरु साहिब की आवाज को पहचाना है।

वहीं पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने इसे किसान संगठनों की जीत बताया हालांकि आज भी वे पंजाब सरकार को नसीहत देने से भी नहीं चूके। सिद्धू ने ट्वीट किया कि काले कानूनों को निरस्त करना सही दिशा में एक कदम है। किसान मोर्चा के सत्याग्रह को ऐतिहासिक सफलता मिली है। उनके बलिदान ने लाभांश का भुगतान किया है। पंजाब में एक रोड मैप के माध्यम से खेती को पुनर्जीवित करना पंजाब सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

यूपी डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि सरकार की मंशा हमेशा किसानों के हित में काम करने की है। किसान ही हमारी प्राथमिकता पहले थे और आज भी है। नेक नीयत से कानून लेकर आए थे और आज भी हमारी मंशा नेक है।

किसान नेता सरदार वीएम सिंह ने कहा कि किसान को एमएसपी गारंटी बिल चाहिए। हमें एक-एक किसान का फायदा देखना है, न कि किसान नेताओं का। अगर एमएसपी पर गारंटी मिल जाती तो ये तीनों बिल होल्ड पर हैं, होल्ड पर रहने और वापस लेने में फक्र नहीं हैं।

ब्रजेश पाठक ने कहा कि पूरी भाजपा उनके सुख-दुख में साथ है। कृषि कानूनों में कोई कमी नहीं है। विपक्ष ने चुनाव के चलते बरगलाया है। किसान समझेंगे और खेती-किसानी में लगेंगे। अपने परिवार के बीच रहेंगे।

जय किसान आंदोलन से जुड़े किसान नेता अविक साहा ने कहा कि राइट स्टेप लिया गया है, लेकिन अभी किसानों की डिमांड बाकी है। अभी एक कदम आगे बढ़ पाएं हैं, लेकिन पूरी सड़क नापना बाकी है।

राकेश टिकैत ने दिया ये बयान

राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कमेटी बनाने और बिजली अमेंडमेंट समेत अन्य मुद्दों पर अभी बात होनी बाकी है। टिकैत ने बताया कि संयुक्त मोर्चा प्रधानमंत्री की घोषणा को लेकर चर्चा कर रहा है, ताकि अगली रणनीति बनाई जा सके।

टिकैत ने यह भी कहा कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उन दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा।

हालांकि, कई लोग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विरोध भी कर रहे हैं. एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘यह बहुत ही दुःखद है कि कुछ सिरफिरों के बहकावे में आकर आपने नये कृषि कानून रद्द कर दिये है, इन कृषि कानून का महत्व नौकरी के लिए दूसरे शहर में बस गये लोगों को मालूम था जो खेती के लिए समय से घर नहीं आ पाते थे.’

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