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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा, जानिए कौन से ऐतिहासिक फैसले लिए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने

भारतीय जनता पार्टी- (भाजपा) के नेतृत्व वाली असम की हिमंता बिस्वा सरकार 10 मई को कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा कर रही है। बता दें कि 10 मई, 2021 को सरमा ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 1 वर्ष पूरे होने के मौके पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा एक पुस्तक का लॉन्च करेंगे. मुख्यमंत्री की डायरी (Chief Minister diary) नाम की पुस्तक में सरमा के कार्यकाल के दिनों और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पहले वर्ष में किए गए प्रयासों का जिक्र किया जाएगा.

भारतीय जनता पार्टी- (भाजपा) के नेतृत्व वाली असम की हिमंता बिस्वा सरकार 10 मई को कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा कर रही है. बता दें कि 10 मई, 2021 को सरमा ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.

1 वर्ष पूरे होने के मौके पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा एक पुस्तक का लॉन्च करेंगे. मुख्यमंत्री की डायरी (Chief Minister diary) नाम की पुस्तक में सरमा के कार्यकाल के दिनों और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पहले वर्ष में किए गए प्रयासों का जिक्र किया जाएगा.

हिमंता बिस्वा सरकार ने लिए कई ऐतिहासिक फैसले

हिमंता बिस्वा को एक चतुर राजनेता, भाजपा के स्थिर और एक स्मार्ट कम्युनिकेटर के रूप में माना जाता है. सरमा को एक काम करने वाले और सख्त प्रशासक के रूप में जाना जाता है, जिसे सरकार के लगभग हर विभाग में काम करने का अनुभव है.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के सीएम कोनराड के. संगमा ने असम और मेघालय के बीच अंतरराज्यीय सीमा विवाद के कुल बारह क्षेत्रों में से छह क्षेत्रों के विवाद के निपटारे के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर 29 को किए ।  केंद्र सरकार ने 31 मार्च को उत्तर पूर्वी राज्यों की दृष्टि से बड़ा कदम उठाते हुए असम, नगालैंड व मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) का क्षेत्र सीमित करने का फैसला किया.

23 साल पुराने ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट को हमेशा के लिए हल करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इसी तरह बोडो समझौता किया गया जिसने असम के मूल स्वरूप को बनाए रखते हुए 50 साल पुराने बोडो मुद्दे को हल किया.असम और भारत सरकार ने इस समझौते की 95 प्रतिशत शर्तों को पूरा कर लिया है और आज बोडोलैंड एक शांत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है 4 सितंबर, 2021 को असम के कार्बी क्षेत्रों में लंबे समय से चले आ रहे विवाद हल समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इसके अंतर्गत लगभग 1000 से अधिक हथियारबंद कैडर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हुए.

हिमंत बिस्वा ऐसे तोड़ी ड्रग माफियाओं की कमर

असम में ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का अनुसरण करते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अनूठे तरीके से ड्रग के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है. 17 जुलाई 2021 को उन्होंने भारी मात्रा में जब्त की गई ड्रग्स को सार्वजनिक तौर पर जलाया था और अब रविवार और उन्होंने जब्त की गई ड्रग्स पर बुलडोजर चलाया.

गौरतलब है कि राज्य में ड्रग्स के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ का जिक्र करते हुए कहा था कि ‘उड़ता पंजाब’ की तरह, असम भी ‘उड़ता असम’ बनने की राह पर था. लेकिन असम पुलिस जिस तरह से अपना काम कर रही है और अवैध नशीले पदार्थों के खिलाफ जंग जारी रखे हुए है, हमें लगता है कि हम राज्य के कई युवाओं, परिवारों को इससे बचाने में सफल रहे.

हिमंता बिस्वा का जीवन

बता दें कि हिमंता बिस्वा सरमा का जन्म असम के जोरहाट में जोराहाट में 01 फरवरी 1969 में हुआ था. राजनीति में प्रवेश करने से पहले वे कॉटन कॉलेज यूनियन सोसाइटी के महासचिव थे. सरमा ने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. साल 2001 से 2015 तक जालुकबारी विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने कांग्रेस का दबदबा कायम रखा. 15 साल तक वे इस सीट से विधायक रह चुके हैं. साल 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी. इसके बावजूद कांग्रेस से उन्हें तवज्जो नहीं मिली. साल 2016 असम में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी. इस कामयाबी के पीछे सीएम सर्बानंद सोनोवाल के अलावा हेमंत बिस्वा सरमा का भी रोल था.

सरमा 2015 में बीजेपी में शामिल हुए थे

23 अगस्त 2015 को डॉ. हिमंत नई दिल्ली में अमित शाह (वर्तमान गृह मंत्री) के आवास पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए. उन्हें असम राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रबंधन समिति के पार्टी के संयोजक के रूप में भी नियुक्त किया गया था.

बाद में उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता और उत्तर पूर्व भारत में पहली भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के तहत कैबिनेट मंत्री के रूप में बैठे.

मई 2016 में सरमा को फिर से लगातार चौथी जीत मिली और उन्होंने जलुकबाड़ी निर्वाचन क्षेत्र से कैबिनेट मंत्री के रूप में अपना कार्यकाल जारी रखा. उन्हें 24 मई, 2016 को वित्त, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, शिक्षा, योजना और विकास, पर्यटन, पेंशन और लोक शिकायत जैसे विभागों के विभागों को सौंपा गया था और उन्होंने 24 मई को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी.

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