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प्रदीप भंडारी से बोले लेखक उदय महुरकर- औरंगजेब ही नहीं बल्कि इब्राहिम लोधी, खिलजी, तुगलक ने भी हिंदुओं को सताया और मंदिरों को नष्ट किया

प्रदीप भंडारी के शो जनता का मुकदमा पर सोमवार को सूचना आयुक्त और लेखक उदय माहुरकर ने एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रदीप भंडारी से ज्ञानवापी मंदिर मुद्दे पर बात की. प्रदीप भंडारी ने उदय माहुरकर से सवाल किया की,’ प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट का हवाला देकर क्या रिलीजियस ऑफ कैरेक्टर को हम नहीं बताएंगे. जब रिलीजियस कैरेक्टर मंदिर का मिल रहा है तो उस पर बहस क्यों ना हो?

उदय महुरकर ने जवाब में कहा कि,’मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई इस बात पर कोई शंका का स्थान नहीं है. जब छत्रपति शिवाजी महाराज थे उस वक्त मंदिर का ध्वंस हुआ था. छत्रपति शिवाजी चाहते थे इसका जनोधार हो, फिर बाजीराव पेशवा आए उन्होंने इसके जनोधार की बात की, फिर बालाजी बाजीराव आए और फिर माधवराव पेशवा आए उन्होंने भी इसके जनोधार की बात की और अपनी वसीयत मे लिख कर गए हैं मेरे जाने के बाद सबसे पहले मंदिर का जनोधार किया जाए. 1947 में अखंड भारत का विभाजन इसलिए हुआ क्योंकि मुसलमान इसे चाहते थे। उन्हें उनकी पसंद का देश देने के बावजूद, अगर अयोध्या, काशी और मथुरा में हिंदुओं को उनके पवित्र स्थल नहीं मिलते हैं, तो हम किस न्याय की बात कर रहे हैं?’

धार्मिक सुलह के लिए आत्मनिरीक्षण बहुत जरूरी है: उदय माहुरकर

उदय माहुरकर ने आगे कहा कि,’अगर आप सल्तनत काल का इतिहास पढ़ेंगे तो को यह महसूस होगा कि औरंगजेब ही नहीं – सिकंदर लोधी, इब्राहिम लोधी, मोहम्मद खिलजी, फिरोज तुगलक, मोहम्मद तुगलक ने भी हिंदुओं को सताया और उनके मंदिरों को नष्ट किया . धार्मिक सुलह के लिए आत्मनिरीक्षण बहुत जरूरी है। मुसलमानों को ऐसा लगता नहीं है कि जो हमारे हजारों मंदिर तोड़े गए हैं उनमें से तीन जो प्रमुख मंदिर है हिंदुओं के वह उन्हें वापस दिए जाएं.

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