आखिर हुआ ही क्या था? क्या हो सकता था? जो जितना सोच सकता था, उतना हुआ था। एक आम दिन, वह रोज की तरह बाइक पर था। उसे नहीं पता था कि आज के बाद वह चैन की सांस कब ले पाएगा? कब आएगी आज रात के बाद सुबह? वह सरवजीत, साधारण लड़का एक बहुत बड़े संघर्ष का गवाह बनने जा रहा था। वह जीत का प्रतीक बनकर उभरने वाला था।
हाँ, वही सरवजीत, जिस पर राह चलती एक लड़की ने यह आरोप लगाया कि सरवजीत ने उसपर तिलक नगर ट्रैफिक सिग्नल पर अभद्र टिप्पणियाँ कीं। और फिर क्या था जसलीन कौर एक ऐसी नायिका बन गयी जिसने उस भद्दे आदमी का विरोध किया था और मीडिया पागल हो गया। मीडिया ने सरवजीत को बिना उसका पक्ष जाने और बिना उसकी फोटो ब्लर किये, बदनाम करना आरम्भ कर दिया।
सरवजीत, जो मात्र उस ट्रेफिक सिग्नल पर खड़ा था, उसका जीवन देखते ही देखते बदल गया। अपयश उसकी प्रतीक्षा में था और मीडिया ने सरवजीत सिंह को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परिवार का लाड़ला सरवजीत, बिना किसी कारण के दिल्ली का दरिंदा बन गया! जी हाँ, मीडिया ने उसे यही नाम दिया था! अपनी राजनीति चमकाने के लिए केजरीवाल ने उसे दिल्ली का दरिंदा कहा था!
पर मीडिया भूल गयी थी कि सरवजीत सिंह के साथ सत्य था। जसलीन के झूठे केस के आधार पर जिन्होनें आरोप लगाए उन्होंने फिर क्षमा भी माँगी! टाइम्स नाउ, सोनाक्षी सिन्हा जैसे लोगों ने सरवजीत सिंह से क्षमा माँगी!
धीरे धीरे बादल छंटे! न्यायालय से न्याय मिला, और अब सरवजीत सिंह दूल्हा भी बन गए हैं! पुरानी हर काली छाया उनके जीवन से चली गयी है! यही विजय है, यही सत्य है! सरवजीत को और उनकी धर्म पत्नी डॉ मृदु बाला को आने वाले जीवन के लिए शुभकामनाओं सहित।
(बरखा त्रेहन, अध्यक्ष : पुरुष आयोग)