शुक्रवार को अपनी श जनता का मुकदमा में शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने महाराष्ट्र में छिड़ी सियासी जंग पर मुकदमा किया.
प्रदीप भंडारी ने कहा कि, ‘महाराष्ट्र के अंदर जो यह राजनैतिक सर्कस चल रहा है, वह काफी दिलचस्प होते जा रहा है और हर नेता एक दिमागी खेल खेलने की कोशिश कर रहा जिस को पता है उसकी कुर्सी जाने वाली है. इस दिमागी खेल की शुरुआत कल उद्धव ठाकरे ने अपनी फेसबुक लाइव से की थी, इसके बाद उन्हें लगा कि उनका इमोशनल कार्ड काम करेगा लेकिन उनके नेता एकनाथ शिंदे के साथ और जुड़ते गए. आज एकनाथ शिंदे का वीडियो आने के बाद जिसमें उनके पास दो तिहाई से ज्यादा विधायक हैं और उसके बाद उनका एक और वीडियो आया जिसमें वह कह रहे हैं उन्हें राष्ट्रवादी पार्टी के साथ जाना है जो पाकिस्तान को सबक सिखाएं. उसके बाद शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का भरोसा है एमवीए बहुमत का आंकड़ा छू रही है. गौर करने वाली बात यह है कि जहां शरद पवार कह रहे हैं एकनाथ शिंदे के पीछे बीजेपी पार्टी है वहीं दूसरी तरफ उन्ही के परिवार के अजित पवार कह रहे हैं इसमें बीजेपी का कोई हाथ नहीं है.
'Hindutva wins, Secular Sena loses. Compromising with ideology and betraying Balasaheb's legacy has cost #UddhavThackeray. He's lost his MLAs, and his political relevance' –
Pradeep Bhandari's DALEEL on #MVACollapses debate on @JMukadma on @IndiaNews_itv.#Shivsena @pradip103 pic.twitter.com/SlFY4zzQ7W
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) June 23, 2022
पिछली बार जब बीजेपी ने अपनी सरकार बनाने की कोशिश की थी तब पहले ऐसे लगा था कि अजित पवार भाजपा के साथ हैं. फिर उसके बाद अजित पवार ने अपना दल बदल दिया और वह एमवीए के साथ आ गए. इस एक व्यक्ति की हालत बहुत खराब है और उनका नाम है उद्धव ठाकरे क्योंकि जब से ठाकरे ने हिंदुत्व को छोड़ा है उनकी सरकार एक ऐसी पटरी पर चल रही है जहां पर दुर्घटना होना तय है. ठाकरे ने सुशांत सिंह राजपूत के केस में कोई कदम नहीं उठाया, वह पालघर साधु के समय पर मौन रहे, हनुमान चालीसा पढ़ने पर उन्होंने नेताओं को जेल तक भेज दिया और उन्होंने हिंदुत्व को पीछे रखा.
और उनकी आज की स्थिति ऐसी हो चुकी है ना उनके पास पार्टी है, ना उनके पास दो तिहाई बहुमत है, ना उनके पास कोई विचारधारा है और कल उन्हें इमोशनल कार्ड खेलने के बाद लगा कि महाराष्ट्र के चप्पे-चप्पे में सब उधव ठाकरे ही कहेंगे. लेकिन उनके आवास वर्षा के बहार सिर्फ 200 लोग ही खड़े थे और आज महाराष्ट्र वैसे का वैसा ही चल रहा है कोई यह नहीं कह रहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री रहना चाहिए मतलब अब उनके पास जन समर्थन भी नहीं रहा, इन सब के पीछे एक ही कारण है हिंदुत्व को छोड़ना.