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ईडी की कार्रवाई पर प्रदीप भंडारी की दलील- यह भ्रष्टाचार बनाम भारत की लड़ाई है

बुधवार को जनता का मुकदमा शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले और ED के गिरफ्तारी, जब्ती, कुर्की के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आज का मुकदमा किया।

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, कांग्रेस पार्टी के नेता ये कहते हुए आए है की ED भाजपा की एजेंसी है और वो प्रतिशोध की राजनीति कर रही है। आज इस पूरी कहानी के झूठ का भांडा फूट चुका है, आज सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ( PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा,PMLA के तहत ED को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को बरकार रखा जायेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की मनी लांड्रिंग के तहत हुई गिरफ्तारी मनमानी नही है.

3 जजों की पीठ ने अपनी जजमेंट में ये तक कहा है की मनी लॉन्ड्रिंग देश की प्रभुता और अखंडता के खिलाफ है और इसको हल्के में नही लिया जा सकता. तो 1 लाख से ज्यादा करोड़ की अवैध प्रॉपर्टी और 800 करोड़ से ज्यादा की वसूली, 3000 से ज्यादा मामले में ED ने गैर कानूनी तरीके से कुछ नहीं किया।

मैं कहता हूं कि अगर कठोर PMLA कानून की वजह से बड़े प्रभावी नेता पार्थ चटर्जी के घर से 20 करोड़ रुपए मिलते हैं तो यह कानून सही है, अगर कठोर PMLA कानून की वजह से बड़े रसूखदार और इस देश की शक्तिशाली नेता सोनिया गांधी जैसे नेताओं से सवाल पूछे जाते है तो इसमें गलत क्या है। अगर कठोर PMLA कानून की वजह से नवाब मलिक की शुरुआती जांच में गैर कानूनी प्रॉपर्टी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत पकड़ी गई तो उसमे गलत क्या है। देश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन से जंग छेड़ी थी और ईडी की लड़ाई विपक्ष से नहीं भ्रष्टाचार से है।

यह भ्रष्टाचार बनाम भारत की लड़ाई है। और जो भ्रष्ट हैं उसको जमानत मिलना मुश्किल ही होना चाहिए क्योंकि जब करोड़ रुपए के नोटों की गड्डी एक IAS ऑफिसर पूजा सिंघल के घर से निकलती है, तो ऐसे लोगों को आसानी से जमानत क्यों मिलनी चाहिए? या फिर जब वसूली गेट वाले अनिल देशमुख अभी तक जेल के पीछे हैं, इससे हम क्या समझते हैं? इस से ये ही समझ आता है की भ्रष्टाचार के खिलाफ इतने सारे सबूतों के भंडार से इनको कोर्ट से बेल नही मिल पा रही। और ऐसे नेताओं को जो जनता का पैसा लूटते हैं उन सब को आज सुप्रीम कोर्ट ने कानून का पाठ पढ़ाया है।

तो गहलोत जी ये ED का आतंक नही, ये भ्रष्टाचार कर रहे लोगों के दिमाग का आतंक है और देश की जनता कह रही है ये आतंक और डर अच्छा है। और हां मैं पूछना चाहता हूं। अगर ये वेंडेटा है तो फिर 2013 में सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा का बयान क्या था? जिसमें उन्होंने कहा था- उन पर दबाव किया था उस वक्त की सरकार ने की अमित शाह को इशरत जहां केस में फ्रेम करा जाए।

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