बिहार में भाजपा और जदयू का गठबंधन टूट गया है। सीएम नीतीश राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया। मंगलवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने इसी मुद्दे पर बात की।
प्रदीप भंडारी ने कहा की, बिहार की राजनीति में वापिस से नीतीश कुमार ने पलटी मार ली है। नीतीश कुमार अब RJD यानी तेजस्वी यादव के साथ आ गए है। JDU सूत्र ये कह रहे है भाजपा, जेडीयू को तोड़ने की कोशिश कर रही थी इसलिए नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ना पड़ा, पर मेरे कुछ सवाल है।
नीतीश कुमार 2024 में क्या महागठबंधन के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाना चाहते है इसलिए उन्होंने गठबंधन तोड़ा? क्योंकि अभी देखा जाए तो सबसे ज्यादा अनुभवी मुख्यमंत्री विपक्ष में तो नीतीश कुमार ही है?बात करे महागठबंधन मॉडल की तो जब भी महागठबंधन हुआ है तो इससे नरेंद्र मोदी को और मजबूती ही मिली है? 2019 में एसपी, बीएसपी साथ आने के बावजूद एनडीए 300 का अकड़ा पार कर गई। तो क्या 2024 में फिर से मोदी बनाम महागठबंधन में मोदी को ही फायदा होगा?
बात करे बिहार के जमीनी इस्तिथि की तो क्या नीतीश कुमार को जो लोग प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार देख रहे है क्या वो उनको ओवर रेट नहीं कर रहे? 2020 बिहार चुनाव में बीजेपी का स्ट्राइक 60% से ज्यादा था और जेडीयू का 40% से कम था। 2019 लोक सभा चुनाव में मोदी के नाम पर वोट मांगते हुए एनडीए को 39/40 सीट मिली और 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और मोदी हवा के कारण एनडीए सबसे बड़ी बड़ी पार्टी बनी। तो फिर नीतीश कुमार भले ही आरजेडी के साथ जाए या महागठबंधन बनाए तो इससे मोदी को कैसे नुकसान है? इतने एंटी मोदी लॉबी के खुद के 2020 के चुनाव के बाद मोदी हवा के कारण नीतीश के खिलाफ सत्ता विरोध कम हो पाया। एक और अवलोकन देखिए
1) उद्धव ठाकरे ने मोदी का हाथ छोड़ा और आज उद्धव के पास पार्टी नही बची
2) अकाली दल ने एनडीए में मोदी का हाथ छोड़ा और आज वो पंजाब में नंबर 3/4 नंबर की पार्ट बन गई है
' Did Nitish Kumar dump BJP & exit from NDA because he wants to be 2024 PM candidate?' –
Pradeep Bhandari analyses 10 keys aspects of #BiharPoliticalCrisis on tonight's edition of @JMukadma on @IndiaNews_itv.#NitishKumar #TejasviYadav #BiharPolitics @pradip103 pic.twitter.com/kl2DSTG6EN
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) August 9, 2022
तो क्या नीतीश आरजेडी के साथ आने से जेडीयू के EBC बेस को भी यही नुकसान नहीं होगा?2010 में जनादेश जेडीयू बीजेपी को मिला, नीतीश ने 2013 में साथ छोड़ा। 2015 में जनादेश आरजेडी जेडीयू को मिला, नीतीश ने 2017 साथ छोड़ा। 2020 में जनादेश बीजेपी जेडीयू को मिला, नीतीश ने 2022 में साथ छोड़ा।
दोस्तों एक बात तो तय है महागठबंधन 2014 के बाद भी इस्तेमाल हुआ था फेल हुआ 2019 के पहले भी ट्राई हुआ था फेल हुआ। 2024 के पहले भी जोड़-तोड़ की कोशिश कही मोदी को फायदा तो नहीं देगी क्योंकि 2014- 2019 में मोदी विरोधी गठबंधन तो हुए पर मोदी का जनादेश पड़ा तो क्या 2019 – 2024 में गठबंधन एंड आई पैकेजिंग होने के बावजूद मोदी का जनादेश बढ़ेगा।