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ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में हिंदुओं की जीत पर प्रदीप भंडारी की दलील: ‘फव्वारा गैंग’ को शिव भक्तों से माफी मांगनी चाहिए

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बहुचर्चित ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी जिला जज की अदालत का आदेश हिंदू पक्ष के हक में आया है। अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देन वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

सोमवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने हिंदू पक्ष की इसी जीत पर आज का मुकदमा किया।

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, मैं आपको समझाना चाहता हूं की यह भावनात्मक बात तो है पर उसके साथ-साथ तथ्यों की बात भी है। अगर आप इस पूरे जजमेंट को पढ़ेंगे, तो समझेंगे कि मुस्लिम पक्ष ने 3 दलीलें रखी और कहां वक्फ एक्ट-1995 के तहत यह पूरा मामला सिविल कोर्ट वाराणसी नहीं सुन सकता। कोर्ट ने कहा कि वक्फ एक्ट 1995 के पहले हिंदू देवी देवताओं की पूजा कर रहे थे। आप कहते हैं कि प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट-1995 इसमें लागू होता है‌ , प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट  1991 में फोर्स में आया था, लेकिन हिंदू 1947 से लेकर 1993 तक प्रतिदिन यहां पर पूजा करते थे। पर तुष्टीकरण वाले नेताओं के कारण हिंदू  प्रतिदिन पूजा करने से वंचित हो गया‌, क्योंकि उस समय यहां पर समाजवादी पार्टी की सरकार थी।

दूसरा, कोर्ट ने कहा कि, विवादित जगह पर अगर प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट आने से पहले रोज पूजा होती थी, तो फिर आप यह कैसे कह सकते हैं कि प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट के सेक्शन 4 के तहत लागू होता है। कोर्ट ने इस पूरे झूट को खारिज कर दिया।

तीसरा कहा गया, कि 1983 में काशी विश्वनाथ एक्ट आया था जिसके तहत, कोर्ट को नहीं सुन सकता। मुस्लिम पक्ष की इस दलील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहां 1983 काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट‌ ये कहता है, कि वहां पर बोर्ड आफ ट्रस्टीस की जिम्मेदारी है कि वह भगवान शिव, मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश और हनुमान की पूजा का हक हिंदुओं को मिलता रहे जो 1947 से 1993 लगातार मिल रहा था।

16 अगस्त 2021 के बाद हिंदू वहां पर एक भी दिन दर्शन नहीं कर पाया, उन्हें सिर्फ साल में एक बार दर्शन करने का अधिकार था। तो सवाल ये है ना वक्फ एक्ट-1995 वाली दलील चली, ना प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट वाली दलील चली, ना ही काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट वाली दलील चली।ने

जिन लोगो ने कहा था कि वहां शिवलिंग नहीं फव्वारा है, वहां मां श्रृंगार गौरी नहीं है उन्हें मैं कहना चाहता हूं हम देख रहे थे और कोर्ट पर विश्वास कर रहे थे। जिन लोगों ने कहा वहां पूजा नहीं हो सकती उन लोगों को हमने कहा कि हम देख रहे थे और कोर्ट पर विश्वास कर रहे थे।

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