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वक़्फ़ संपत्ति सर्वे से अवैध कब्जे का सच बाहर आएगा- प्रदीप भंडारी की दलील

यूपी की योगी सरकार प्रदेश के मदरसों के बाद अब वक़्फ़ बोर्ड की संपत्तियों का भी सर्वे करवाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महीने के भीतर सर्वे पूरा करवाने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। साथ ही उन्होंने निर्देश दिए हैं कि वक़्फ़ बोर्ड की संपत्तियों को राजस्व अभिलेखों में दर्ज किया जाए।

मंगलवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने इसी मुद्दे पर आज का मुकदमा किया।

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, भारतीय संविधान का आर्टिकल 14 कहता है राज्य किसी को भी सामान्य अधिकार से वंचित नहीं करेगा, और कानून सब के लिए बराबर होगा इस प्रिंसिपल की माने तो फिर क्या सेक्शन 40 ऑफ वक़्फ़ एक्ट 1995 जो यह कहता है ‘अगर वक़्फ़ को लगे की यह वक़्फ़ की संपत्ति है तो फिर उसे वक़्फ़ की ही संपत्ति मान ली जाती है। अब वक़्फ़ यानी अल्लाह को दान में की गई जमीन।’

मतलब अगर कोई हिंदू है , ईसाई है और वो इस्लाम में विश्वास नहीं रखता अपनी स्वेच्छा से ज़मीन नहीं देना चाहता तो फिर वक़्फ़ अगर मनमानी करे तो उसके पास अपनी जमीन को बचाने के लिए ना तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अवसर है ना ही CRPC के तहत सिविल कोर्ट का, उसको जाना वक़्फ़ के पास ही होगा। फिर मेरा सवाल ये है की यह संविधानिक कैसे? ऐसा कानून किसी और धर्म के धर्मार्थ संस्थान पर नहीं है तो सिर्फ इस्लाम के नाम पर दान की गई जमीन पर क्यों?

प्रदीप भंडारी ने आगे कहा कि, आज वक़्फ़ के पास रेलवेज और डिफेंस के बाद सबसे ज्यादा जमीन है 2008 के बाद यह प्रॉपर्टी 8 लाख एकड़ हो चुकी है 2014 के चुनाव के नतीजे के ठीक पहले 103 दिल्ली एनसीआर की प्राइम प्रॉपर्टी यूपीए सरकार ने वक़्फ़ को गिफ्ट कर दी। और अभी तमिलनाडु के 15 साल पुराने मंदिर की जमीन को भी वक़्फ़ ने कहा ये उनकी जमीन है तो फिर मैं ये कहना चाहता हूं यह बात हिंदू मुस्लिम कि नहीं यह हमारे संविधान की है।

 

आज़ादी के बाद 70 साल लग गए थे आर्टिकल 370 को हटाने के लिए क्या इस देश को और 70 साल इंतजार करना होगा इस अधिनियम के नाम पर चल रहे लैंड माफिया को रोकने के लिए यह अधिनियम न आर्टिकल 14 के टेस्ट को पास करता है ना ही सेकुलरिज्म के। यह बात हिंदू मुस्लिम कि नहीं यह हमारे संविधान की है।

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