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अशोक गहलोत की बगावत राहुल गांधी की नेतृत्व की विफलता का परिणाम है- प्रदीप भंडारी की दलील

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष के रेस में शामिल होने के बाद राजस्थान का सियासी पारा गरम है। कांग्रेस की आंतरिक कलह एक बार फिर जगजाहिर हो रही है। गहलोत गुट के विरोध के बाद से पायलट के हाथ से एक बार सत्ता छीनती नजर आ रही है। प्रदेश में मचे इस घमासान के बीच अब सवाल है कि राजस्थान का अगला सीएम कौन होगा।

इसी सवाल को लेकर आज अपने शो जनता का मुकदमा पर शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने मुकदमा किया।

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, जो राजस्थान में इस वक्त चल रहा है यह राहुल गांधी की लीडरशिप पर वापस से बड़े सवाल इकट्ठा करता है। एक तरफ राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं और दूसरी तरफ उनकी खुद की पार्टी में जोड़-तोड़ चल रही है। इसी राजनीति को लेकर मेरे कुछ सवाल हैं। पहला अशोक गहलोत राहुल गांधी से मिलने गए भारत जोड़ो यात्रा में, सचिन पायलट भी राहुल गांधी से मिलने गए भारत जोड़ो यात्रा में फिर भी राहुल को अंदेशा नहीं हुआ कि राजस्थान में इतना बड़ा क्राइसिस होने वाला है?

दूसरा, अगर अपने सबसे करीबी अशोक गहलोत को राहुल गांधी नहीं मना पाए तो फिर देश को कैसे मनाएंगे? घटनाओं का क्रम समझिए, कांग्रेस पर्यवेक्षक राजस्थान में। विधायक राहुल गांधी के पर्यवेक्षक से नहीं मीडिया से बात करते हैं।

कमलनाथ को सोनिया गांधी दिल्ली बुलाती है वह अशोक गहलोत से नहीं बल्की मीडिया से कहते हैं वह अशोक गहलोत से बात नहीं करेंगे उन्हें सिर्फ सोनिया गांधी से मिलना है। तो जो कल तक कांग्रेस का प्रेसिडेंट बनना चाहता था, आज वह पार्टी से बगावत कर चुका है। उसके बाद भी ना वह हाई कमांड राहुल गांधी, सोनिया गांधी से बात कर रहे हैं ना वह उनके सेनापति अजय माकन से बात कर रहे हैं, इससे बड़ा लीडरशिप फेलियर क्या हो सकता।

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