लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के लॉ स्कूल में भारतीय मूल के छात्र के साथ धर्म और देशविरोधी बयानों के खिलाफ बोलने को लेकर भेदभाव किए जाने का मामला सामने आया है।
करण कटारिया, जो हरियाणा से है उन्होंने कहा कि वह एलएसई छात्र संघ (एलएसईएसयू) के महासचिव के पद पर चुनाव लड़ने के लिए अपने साथियों के समर्थन से प्रेरित थे। हालांकि, उन्हें पिछले हफ्ते अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उनका मानना है कि उनके खिलाफ लगे आरोप आधारहीन हैं और उन्हें मामले में पूरी तरह से सफाई पेश करने का मौका नहीं दिया गया है।
एलएसई छात्र संघ के महासचिव पद के लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक वकील करण कटारिया ने रविवार को ट्विटर पर दावा किया कि उन्हें हिंदू राष्ट्रवादी होने के कारण महासचिव पद के लिए लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया था। उन्होंने कहा, “मैंने भारत विरोधी बयानबाजी और हिंदूफोबिया के कारण व्यक्तिगत, विद्वेषपूर्ण और लक्षित हमलों का सामना किया है। मैं मांग करता हूं कि LSESU अपने तर्क के बारे में पारदर्शी रहे। मैं हिंदूफोबिया का मूक शिकार नहीं बनूंगा।”
I have faced personal, vicious, and targeted attacks due to the anti-India rhetoric and Hinduphobia. I demand that the @lsesu is transparent about its reasoning.
I will not be a SILENT victim of Hinduphobia.
@LSEnews @HCI_London @BobBlackman pic.twitter.com/65LKaFAI7J— Karan Kataria (@karanatLSE) April 2, 2023
उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से, कुछ लोग एक भारतीय-हिंदू को एलएसईएसयू का नेतृत्व करते हुए नहीं देख सकते थे और मेरे चरित्र और पहचान को खराब करने का सहारा लिया। ये स्पष्ट रूप से हमारे सामाजिक समुदायों को उखाड़ने वाली खतरनाक संस्कृति के अनुरूप था।”
कटारिया ने आगे कहा कि जब मैंने एलएसई में स्नातकोत्तर अध्ययन शुरू किया, तो मुझे ईमानदारी से छात्र कल्याण के लिए अपने जुनून को आगे बढ़ाने और पूरा करने की उम्मीद थी। लेकिन मेरे सपने तब चकनाचूर हो गए, जब पूरी तरह से मेरी भारतीय और हिंदू पहचान के कारण मेरे खिलाफ जानबूझकर बदनाम करने का अभियान शुरू किया गया।
इसके पहले आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय छात्र संघ की पहली महिला भारतीय अध्यक्ष रश्मि सामंत को भी इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था।