सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं। संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि भारत के राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं कर राष्ट्रपति को अपमानित कर रहे हैं। शीर्ष न्यायालय की एक वकील ने यह याचिका, 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किये जाने के कार्यक्रम को लेकर छिड़े एक बड़े विवाद के बीच दायर की है।
याचिकाकर्ता का नाम सी आर जयासुकिन है। पेशे से वकील जयासुकिन तमिलनाडु से हैं। वह लगातार जनहित याचिकाएं दाखिल करते रहते हैं। उनकी इस याचिका में कहा गया है कि देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं। सभी बड़े फैसले भी राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं।
वहीं विपक्षी दलों ने कल एक संयुक्त वक्तव्य में कहा, “नये संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। विपक्ष मानता है कि मोदी सरकार लोकतंत्र के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है। इस सरकार ने निरंकुश तरीके से नये संसद का निर्माण किया है इसके बावज़ूद विपक्ष उद्घाटन समारोह के अवसर पर मतभेदों को भुलाने को तैयार था, लेकिन सरकार ने नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पूरी तरह से दरकिनार कर प्रधानमंत्री से इसका उद्घाटन कराने का निर्णय लिया है और यह हमारी लोकतांत्रिक परंपरा पर सीधा हमला है।”