केंद्र सरकार जहां एक तरफ रेल यात्रियों के यात्रा अनुभव को और बेहतर बनाने में लगी है वहीं इसके साथ ही यात्रियों की सुरक्षा भी बेहतर हुई है। मोदी सरकार ने पैसेंजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने और ऑपरेशनल कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए रेलवे के बुनियादी ढांचे के एडवांसमेंट पर फोकस किया है। सिग्नलिंग और
टेलीकम्यूनिकेशन सिस्टम को बढ़ाने के लिए पैसे का पर्याप्त आवंटन किया गया है और पुराने उपकरणों को अत्याधुनिक तकनीक से बदल दिया गया है। इससे दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है और रेलवे के समग्र सुरक्षा रिकॉर्ड में सुधार हुआ है। अप्रैल 2019 से 30 मई 2020 तक किसी भी रेल दुर्घटना में किसी रेल यात्री की जान नहीं गई।
रेल दुर्घटनाओं में कमी
भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद यात्रियों की सुरक्षा में सुधार और रेल दुर्घटनाओं को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया है। रेल हादसों के लिए जीरो टॉलरेंस के साथ रेलवे में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी। मंत्रालय ने मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को हटाने की दिशा में काम किया, जो सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा था।
रेल दुर्घटनाओं की संख्या 2006-07 और 2013-14 के बीच 1,243 थी जो 2014-15 और 2022-23 के बीच 638 हो गई है।
लेवल क्रॉसिंग को हटाया गया
मंत्रालय ने अप्रैल 2014 से जनवरी 2019 तक 8,948 लेवल क्रॉसिंग को हटा दिया था, इनमें से 3,479 अकेले 2018-19 में समाप्त किए गए थे। रेलवे के ब्रॉड गेज नेटवर्क पर आखिरी मानव रहित लेवल क्रॉसिंग (यूएमएलसी) को 31 जनवरी 2019 को समाप्त कर दिया गया था। 2019-2023 के दौरान 3,981 मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग को भी नेटवर्क से हटा दिया गया।
पैसेंजर सुविधाओं पर फोकस
पैसेंजर सुविधाओं पर सरकार का मुख्य फोकस रहा है। देश भर के स्टेशनों को बेहतर प्रतीक्षालयों, बेहतर स्वच्छता सुविधाओं और एस्केलेटर और लिफ्ट जैसी सुविधाओं का आधुनिकीकरण किया गया है।
स्किल डेवलपमेंट और रोजगार सृजन
मोदी सरकार ने रोजगार के अवसर पैदा करने में रेलवे की क्षमता को पहचाना है। रेलवे कर्मियों के स्किल डेवलपमेंट के जरिए सक्षम कार्यबल बनाने के प्रयास किए गए हैं। भारतीय रेलवे विश्वविद्यालय और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसी पहलें लोगों को रेलवे उद्योग में करियर बनाने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने के लिए शुरू की गई हैं। इससे न केवल नौकरी चाहने वालों को लाभ हुआ है बल्कि रेलवे की समग्र मानव संसाधन क्षमताओं को भी मजबूती मिली है।