राहुल गाँधी इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं, और एक के बाद एक तमाम ऐसे बयान दे रहे हैं जिनसे उनकी हिन्दू विरोधी और भारत से नफरत वाली मंशा जाहिर हो रही है, एक के बाद एक वो लगातार ऐसे बयान दिए जा रहे हैं, जिससे वो मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं, ‘मुहब्बत की दूकान नहीं, नफरत का शोपिंग मॉल’ वाले बयां के एक दिन बाद सोमवार को देश के जाने माने राष्प्रट्दीरवादी पत्रकार प्रदीप भंडारी ने राहुल गाँधी के विदेश में दिए गए भाषणों का विश्लेषण किया और उनके हिन्दू विरोधी और भारत विरोधी तत्वों के समर्थन के पैटर्न को उजागर किया.
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प्रदीप भंडारी ने आज सुबह राहुल गाँधी के दौरे पर 7 पॉइंट्स ट्वीट करते हुए लिखा ‘आइए नजर डालते हैं कांग्रेस नेता राहुल गांधी के विदेश दौरे की मुख्य बातों पर…
1) ‘षष्टांग प्रणाम’ की हिंदू परंपरा का मज़ाक उड़ाया और इसका वर्णन करने के लिए ‘lying down and all that’ वाक्य का इस्तेमाल किय.
2) ‘अल्पसंख्यकों को भारत में खतरा है’ इस झूठ का प्रसार किया
3) वाशिंगटन डीसी में आईयूएमएल की धर्मनिरपेक्षता की बात की
4) यह कहकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम का अपमान किया कि ‘यह दक्षिण अफ्रीका में शुरू हुआ था’.
5) भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों के एनआरआई होने के बारे में विचित्र बयान दिया.
6) अपने गुरु सैम पित्रोदा को भगवान राम, हनुमान और राम मंदिर की आलोचना करते हुए देखते रहे.
7) ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ के बारे में बात की जब उनसे विशेष रूप से विवेक रघुवंशी के बारे में एक सवाल पूछा गया, जिस पर सीबीआई द्वारा कथित रूप से रक्षा अनुसंधान विकास संगठन और सेना के बारे में अवैध रूप से संवेदनशील जानकारी एकत्र करने और उन्हें अन्य देशों की खुफिया एजेंसियों के साथ साझा करने का आरोप लगाया गया था.
प्रदीप भंडारी ने राहुल के बयानों के पैटर्न के बारे में बताते हुए लिखा की ‘पैटर्न और विशेषताओं को देखेंगे तो आपको दिखेगा की राहुल गाँधी के भाषणों में हिन्दू विरोध, प्रो मुस्लिम, भारत विरोधी तत्वों के समर्थक, भारत के स्वतंत्रता संग्राम का मजाक उड़ाने वाला नजर आयेगा’ उन्होंने सवाल उठाया की ‘क्या यह पैटर्न नया है? क्या ये हैं नए राहुल गांधी? क्या रहुल बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं? नई पीआर टीम के साथ पुराने राहुल गांधी को देखकर आश्चर्य नहीं होता।
बता दें कि राहुल गांधी वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क और सैन फ्रांसिस्को के एक सप्ताह के दौरे पर हैं. और वो हर जगह भाजपा सरकार पर धर्म के आधार पर लोगों को विभाजित करने का आरोप लगाते रहे हैं. उन्होंने सभी संसाधन आवंटन को केंद्रीकृत करने और दलितों और मुसलमानों को अलग-थलग करने, भारत की विदेश नीति और सुरक्षा पर सवाल उठाने के लिए भाजपा और आरएसएस को दोषी ठहराया है.