मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में जोरदार बहस हुई। गौरव गोगोई के बहस की शुरुआत करने के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे खड़े हुए। उनके बोलने पर विपक्ष बार बार हंगामा करता था। निशिकांत ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी स्टे ऑर्डर दिया है, जजमेंट नहीं दिया है। कह रहे हैं कि माफी नहीं मांगूंगा। दूसरी बात कह रहे हैं कि मैं सावरकर नहीं हूं।
निशिकांत ने राहुल को ललकारते हुए कहा, ‘आप कभी सावरकर हो भी नहीं सकते जिंदगी में… 28 साल उस आदमी ने जेल में गुजारे हैं। कभी सावरकर नहीं हो सकते।”
उन्होंने कहा “अविश्वास प्रस्ताव किसलिए आया? यहां सोनिया जी बैठी हुई हैं। सोनिया जी का मैं बड़ा सम्मान करता हूं। उनकी पार्टी की और उनकी दो मन:स्थिति है। क्या-क्या करना चाहिए भारतीय नारी को, वो उसका पूरा पालन कर रही हैं। उन्हें दो काम करना है। बेटे को सेट करना है और दामाद को भेंट करना है।”
इससे पहले उन्होंने कहा कि मुझे लगता था कि अविश्वास प्रस्ताव पर राहुल जी बोलेंगे और कोई बहुत बड़ा विषय होगा और रूल्स का फायदा उठाते हुए….। इसके बाद विपक्ष के सांसदों ने हंगामा किया तो स्पीकर ने कहा कि आपके सदस्य ने पूरी बात की है। ऐसे नहीं चलेगा। इस पर निशिकांत दुबे भी गरम हो गए।
उन्होंने विपक्ष के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा “इसके बाद राहुल जी भी नहीं बोले पाएंगे और कोई भी विपक्ष का आदमी नहीं बोल पाएगा। मैंने धैर्यपूर्वक सुना है, आप भी मुझे धैर्यपूर्वक सुनिए।” थोड़ा माहौल शांत होने पर निशिकांत दूबे ने कहा कि अभी मैंने गौरव गोगोई को सुना। इसके बाद विपक्ष के सांसद नारेबाजी करने लगे। काफी देर तक विपक्ष के सदस्य खड़े होकर शोर करते रहे।
संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि गौरव गोगोई का भाषण लाइव गया है इसमें समस्या क्या है। इतनी असुरक्षा की भावना नहीं होनी चाहिए। स्पीकर ने कहा कि आप जानते हैं कि टीवी का कंट्रोल स्पीकर के पास नहीं होता है। टीवी का कंट्रोल एक सिस्टम है, जो आपने बनाया है। छोटी बात पर इस तरह की टिप्पणी करना उचित नहीं है। इसके बाद निशिकांत दुबे फिर बोलने के लिए खड़े हुए।
उन्होंने कहा “लगता है आज राहुल जी तैयार नहीं थे, देर से उठे होंगे तो नहीं बोल पाए। कोई बात नहीं गौरव गोगोई ने बोला अच्छा बोला। गोगोई ने मणिपुर की बात की और पूरे संसद को चैलेंज किया कि आपने मणिपुर नहीं देखा। मैं मणिपुर के इतिहास का भुक्तभोगी था। मेरे मामा मणिपुर में अपना पैर गंवा चुके हैं।”