कल हम थे अहमदाबाद की सबसे शानदार जगह पर, जिसको सभी ‘लॉ गार्डन’ के नाम से जानते हैं, ‘जन की बात’ के CEO Pradeep Bhandari और Founding -partner Akriti Bhatia हमारी टीम के साथ मौजूद थे गुजरात चुनाव पर लोगों की राय जानने के लिए और यह पहला मौका नहीं था जहाँ हमारे CEO Pradeep Bhandari ने पूरी रिपोर्टिंग के दौरान माहौल को बहुत ही खुशनुमा बना दिया. वह अपने चिरपरिचित अंदाज में लॉ गार्डन पर उपस्थित लोगों और रिपोर्टर्स से बात कर रहे थे और उनकी राय जान रहे थे. इस फेसबुक लाइव में जन की बात के रिपोर्टर्स अनिरुद्ध गोपाल शर्मा, अमित पांडेय, निश्छल एवं स्पर्श उपाध्याय भी मौजूद रहे.
इस रिपोर्ट का पहला हिस्सा यहाँ पढ़ा जा सकता है
आपको बता दें की गुजरात में हमे हमारी चुनावी यात्रा के दौरना यह भी आभास हुआ है की जीत का अंतर कैंडिडेट्स के बीच घटने की उम्मीद है, कांग्रेस के साथ समस्या यह है की वो, (1) कोई विकल्प मॉडल प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हैं, (2) नकारत्मक चुनावी कैंपेनिंग (3) गुजराती अस्मिता के खिलाफ लग रहे हैं.
कुछ मुस्लिम यूथ्स ने भी हमसे बात की
निश्छल ने जब उनसे इस बार के चुनावी हाल के बारे में जाना चाहा, तो उन्होंने कहा की “भाजपा आने वाली है“. और उन्होंने अपनी राय देते हुए कहा की, “जीएसटी का सरलीकरण भी होना चाहिए“. आगे एक और यूथ से बातचीत करते हुए हमारे रिपोर्टर स्पर्श उपाध्याय ने 2012 और 2017 के गुजरात चुनाव के बीच का अंतर पूछा और गुजरात में भाजपा के विकल्प पर भी राय जानना चाहा, जिसपर यूथ का कहना था, “भाजपा की जीत आसान नहीं रह गयी है अब, जनता के विश्वास पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही खरे नहीं उतर नहीं पाए हैं”. उन्होंने जीएसटी को एक बड़ा चुनावी मुद्दा माना और यह राय दी की किसानों की मदद हर हद तक होनी चाहिए और भाजपा के द्वारा पाटीदारों को किये वादे भी पूरे किये जाने चाहिए.
आगे बढ़ते हुए हमे कुछ महिलाएं मिलीं जो ‘जन की बात‘ से बात करने को बहुत आतुर थी जिन्होंने चुनाव का सवाल पूछते ही कहा की “सत्ता में भाजपा ही आएगी और हार्दिक पटेल हमे नहीं चाहिए“.
गुजरात में कोई भूखा नहीं सोता
आगे हमारे नए रिपोर्टर ‘अमित पांडेय‘ ने अशोक कुमार श्रीवास्तव से बात किया जो एक गोलगप्पे की दुकान चलते हैं, उन्होंने चुनाव के बारे में राय देते हुए कहा की, “गुजरात की स्थिति अच्छी है, भाजपा से कोई दुखी नहीं है और कांग्रेस ने 60 साल में जो नहीं किया वो मोदी जी ने चंद दिनों में करदिया है“.
एक और व्यक्ति ने हमसे जुड़ते हुए कहा की, “गुजरात को विदेश बना दिया, बाप बाप होता है और हमे मोदी ही चाहिए, कितना विकास हुआ है, हर गरीब खुश है, कोई इंसान भूखा नहीं मर रहा है, सबकी रोज़ी रोटी का इंतेज़ाम है गुजरात में“.
आगे हमारे सीईओ प्रदीप भंडारी ने हमारे रिपोर्टर स्पर्श उपाध्याय से लाइव रिपोर्टिंग का हाल पूछा जिसपर अपनी राय रखते हुए उन्होने कहा, “लोग अपने मुद्दे समझ रहे हैं और वो तैयार हो रहे हैं अपनी राय और मुद्दों के हिसाब से मतदान करने को“.
युवाओं की टीम से ‘जन की बात’ की मुलाकात
हमसे कुछ युवाओं ने बात करते हुए कुछ मुद्दों की तरफ इशारा किया, हमे इस बात की अत्यंत ख़ुशी हुई की आजकल का युवा अपने मुद्दों के प्रति जागरूक है और विकास की अहमियत को समझता है. बातचीत का मुख्य बिंदु निम्नलिखित है:-
1- मैनिफेस्टो की एकाउंटेबिलिटी होनी चाहिए
2 – माहौल बीजेपी का है, जाति की बात करती है कांग्रेस जो की गलत है.
3 – महिला सुरक्षा का मुद्दा अहम् है.
हमारे सीईओ प्रदीप भंडारी ने जन की बात के रिपोर्टर्स से उनका ऑब्जरवेशन जानना चाहा, जिसका मुख्य अंश हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं
1 – मोदी ने विकास को एक मुद्दा बनाया है, कांग्रेस के पास मुद्दे की कमी है – निश्छल (Reporter, ‘Jan Ki Baat‘)
2 – इसबार गुजरात में यूथ विकास के मुद्दे पर मतदान करने वाला है, लोगों को गर्व है की उनके बीच से निकला व्यक्ति आज प्रधानमंत्री है और सुरक्षा के हाल यहाँ बेहतर हैं – अमित पांडेय (Reporter, ‘Jan Ki Baat‘)
3 – विभिन्न मुद्दों पर लोग अपनी राय रख रखे रहे हैं, कांग्रेस में जिस तरह से टिकट का बंटवारा हुआ है वो चुनाव के नतीजों को काफी प्रभावित करने वाला है – अनिरुद्ध गोपाल शर्मा (Reporter, ‘Jan Ki Baat‘)
4 – युवाओं के बीच भाजपा का स्ट्रांग समर्थन है, कांग्रेस अपने खुद के मुद्दे नहीं उठा रही है और जाति के बल पर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है. – आकृति भाटिया (Founding partner ‘Jan Ki Baat‘)
Pradip Bhandari’s take
अगर आप सिर्फ नेगेटिव कम्पैन चलाएंगे और उपाय नहीं देंगे तो आपको सफलता नहीं मिलने वाली है. वादों को जनता चुनावों के बाद भी देखती है और राजनितिक दलों को उसी के हिसाब से वादा करना चाहिए. विकल्प अगर नहीं है जनता के पास तो Anti incumbency का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. और इसका सबसे बेहतर उदहारण गुजरात हो सकता है.
It is going to be a smart election, with smart electorate to elect smart leaders.
– यह स्टोरी स्पर्श उपाध्याय ने की है