Voice Of The People

जन की बात की टीम ने त्रिपुरा में हुए अपने अनुभवों को किया साझा : पढ़िए क्या कहना था हमारी टीम का


त्रिपुरा की जनता ने जन की बात की टीम को जितना प्यार दिया है वो वाकई में हमारे लिए बहुत मायने रखता है। त्रिपुरा की जनता की नब्ज़ को पहचानने के लिए जन की बात सीईओ प्रदीप भंडारी और उनकी टीम ने लगातार 40 दिनों तक प्रदेश मेे हर रोज यात्रा कि और प्रदेश को समझा जिसके बाद त्रिपुरा का पूरा हाल देश के सामने रखा। लेकिन बावजूद इसके जन की बात टीम और सीईओ प्रदीप भंडारी पर एक पार्टी को फेवर करने के बहुत से आरोप लगे। आरोप इसलिए लगाए गए क्योकि हमारे ओपिनियन पोल के नतीजों में सीपीआईएम को पार्यप्त सीटें नही मिल रही थी लेकिन इस सारे झूठ सच का जवाब दिया त्रिपुरा की जनता ने। त्रिपुरा की जनता ने अपने मत का इस्तेमाल करके बताया कि जन की बात की टीम का ओपिनियन और एग्ज़िट पोल एकदम सही था क्योकि जो हमने महसूस किया, दरअसल वो हकीकत थी।

त्रिपुरा में अपने ओपिनियन और एग्ज़िट पोल के सही साबित होने की खुशी जाहिर करते हुए सीईओ प्रदीप भंडारी ने इस सफलता के पीछे की टीम से बातचीत की। हमारे रिर्पोटर राहुल कुमार से जब प्रदीप भंडारी ने उनसे उनके त्रिपुरा जाने के अनुभव को साझा करने को कहा तो राहुल ने बताया कि दिल्ली से त्रिपुरा जाते वक्त उन्हे भी बस यही मालूम था त्रिपुरा नार्थ-ईस्ट का एक स्टेट है जिसमें पिछले 25 सालों से एक ही पार्टी की सरकार चली आ रही है। एजुकेशन रेट में हाई है, पाॅपुलेशन रेट कम है तो बस यही लगता था कि कितना खुशहाल राज्य है मगर जब हम वहाॅं पहुॅंचे तो सच्चाई अलग थी। वैसा कुछ भी वहाॅं नही था जैसा कि दिखाया जाता रहा है।

इसके बाद जन की बात की मीडिया अस्सिटेंट अनुश्री रस्तौगी को बुलाया गया है और उनसे भी लगभग यही सावल किया गया, जिसके जवाब में उन्होने बताया कि त्रिपुरा की जो तस्वीर बनी हुई थी पूरे देश के सामने हकीकत उससे कही ज्यादा अलग है।

त्रिपुरा की जनता के बीच में अच्छा खासा नाम कमा चुके प्रिंस बहादुर सिंह को जब सीईओ प्रदीप भंडारी ने आमंत्रित किया तो उनसे उन्होने पूछा कि आपका त्रिपुरा अनुभव कैसा था ? उन्होने इस सवाल का जवाब ना देते हुए यह बताया कि जब कभी भी हम मिडिया में त्रिपुरा की न्यूज़ देखते थे तो सुनने में आता था कि त्रिपुरा में देश के सबसे गरीब सीएम है और वो सबसे ईमानदार हैं, इसके साथ ही वो किसी तरह की सुख सुविधा का लाभ भी नही उठाते है। लेकिन जब हमने वहाॅं जाकर देखा तो समझ आया कि कोई फर्क नही पड़ता है कि सीएम कितना अमीर या गरीब है, फर्क इस बात से पड़ता है कि जनता कितनी सुखी है।

उर्दू पर अच्छी खासी पकड़ रखने वाले हमारे रिर्पोटर तहसीन रेज़ा को जब बुलाया गया तो उनसे पूछा गया कि उनका यहाॅं अनुभव कैसा रहा क्योकि उन्होने पहले भी कई न्यूज़ चैनल्स में काम किया है। जिसपर तहसीन रेज़ा ने मुस्कुराते हुए जवाब देकर कहा कि, “प्रदीप जी न्यूज़ चैनल्स में हमें सीखनें को बहुत कुछ नही मिलता है जबकि यहाॅं जन की बात में हमने बहुत कुछ सीखा। जन की बात में काम करने के कोई भी फिक्स घंटे नही होते है जो जन की बात की सबसे खास बात है।”

SHARE

Must Read

Latest