दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के निलंबित 20 विधायकों की अधिसूचना की रद्द
इस मौके पर जन की बात की टीम ने अल्का लाम्बा, अधिवक्ता आशकार हुसैन पाशा और लाभ के पद मुद्दे को उठाने वाले वकील प्रशांत पटेल से जब बात की तो देखें उन्होंने क्या कहा और इस मामले पर इलेक्शन कमीशन को मामले पर दूसरे पक्ष को सुनने के लिए कहा. इन सभी से बातचीत के आबाद यह जरुर मालूम चला कि उच्च न्यायालय का यह फैसला आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ी राहत है और आने वाले समय में एक बार फिरसे सभी की निगाहें चुनाव आयोग की तरफ टिकेंगी.
अलका लांबा – हमारी दुबारा सुनवाई चुनाव आयोग के समक्ष होगी. चुनाव आयोग के पास अब मौका है कि नेचुरल जस्टिस के तहत हमारी दुबारा सुनवाई करें और हमे अपनी बात रखने का मौका देन. हम पिछले 2 महीने से पूर्व विधायक कहलाये जा रहे थे, हमारे दफ्तरों पर ताला लग चुका था लेकिन अब हम वापस से विधायक कहलाये जायेंगे और अब हमे दुबारा से जनता के लिए विकासशील कार्य करने का मौका मिलेगा.
आशकार हुसैन पाशा – जो २० विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग ने आर्डर पास किया था जिसमे उनकी सदस्यता को रद्द किया गया था, उसे आज दिल्ली उच्च न्यायलय ने रद्द कर दिया है. यह एक अच्छा फैसला था, क्यूंकि किसी विधायक ने किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं लिया था, न गाडी न बंगला न ही कोई और लाभ.
प्रशांत पटेल – दिल्ली उच्च न्यायलय ने चुनाव आयोग को बोला है कि वापस से उन विधायकों की सुनवाई होनी चाहिए, नए चुनाव आयुक्त ने भी इन विधायकों को नहीं सुना है इसलिए उच्च न्यायालय का मानना है कि उन्हें दुबारा सुनवाई का मौका मिलेगा. हालाँकि यह त्वरित राहत है, इसके बाद चुनाव आयोग वापस से अपना निर्णय लेगा पूरी सुनवाई के बाद. अब देखना है कि चुनाव आयोग क्या फैसला सुनाता है. इसे किसी की हार या जीत से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.