KAIRANA BYPOLL ELECTIONS Watch Ground report from Nanauta Village
Posted by Jan ki Baat on Sunday, May 27, 2018
कैराना के विधायक के तौर पर 1980 से अपने राजनैतिक करियर की शुरूआत करने वाले हुकुम सिंह का देहांत 18 फरवरी 2018 को हुआ लेकिन 19 फरवरी से ही एक अलग सी लड़ाई छिड़ गई दो राजनैतिक खानदानों में। दरअसल, कैराना की राजनीति पर हमेशा से दो घरानों की लड़ाई चली आ रही है जिसमें एक है मुन्नवर हसन का घराना तो दूसरा है हुकुम सिंह का घराना है और हुकुम सिंह के बाद उनकी सांसद की राजगद्दी संभालने के लिए लड़ाई छिड़ी हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह और मुन्नवर हसन की पत्नी तबस्सुम बेगम में। भारतीय जनता पार्टी के टिकट से लड़ने वाली मृगांका सिंह को जहाॅं गुर्जर, कश्यप, सैनी समाज का जहाॅं बड़ा समर्थन मिल रहा है तो वहीं दूसरी ओर तबस्सुम बेगम ने सपा, बसपा, कांग्रेस के समर्थन के बाद रालोद (राष्ट्रीय लोक दल) के टिकट पर कैराना के सांसद का चुनाव लड़ा। जन की बात टीम ने कर्नाटका के बाद कैराना के इस उपचुनाव की तरफ रूख किया और जानी जमीनी हकीकत। आपको बता दें कि जन की बात टीम ने कैराना लोकसभा सीट में आने वाली सभी 5 विधानसभाओं पर दौरा किया और जाना कि वहाॅं की जनता का रूख किस तरफ है। कैराना लोकसभा सीट के अंदर आने वाली गंगोह विधानसभा क्षेत्र की अगर बात करें तो कुल जनसंख्या करीब 3 लाख 20 हज़ार लेकिन गंगोह की कस्बे आबादी करीब 96 हज़ार है तो वहीं देहात के 105 गांवों को मिलाकर 2 लाख 24 हज़ार लोग रहते है। गंगोह कस्बे मेें ज्यादातर मुस्लिम परिवार रहते है जो कि तबस्सुम बेगम को अपना खुला समर्थन देते है, तो वहीं मृगांका सिंह गंगोह देहात से काफी ज्यादा मज़बूत है।
अगर गंगोह के जातीय समीकरण की बात जाए तो यहाॅं पर करीब 1 लाख 20 हज़ार मुस्लिम वोटर रहते है जो कि कुंडा, ननौता और जलालाबाद मेें सबसे अधिक हैं । गंगोह में 48 हजार गुर्जर, 14 हज़ार जाट, 60 दलित, 22 हज़ार सैनी और 56 हजार अन्य जाति के वोटर है। गंगोह के विधायक प्रदीप चैधरी जो कि इस समय भारतीय जनता पार्टी के विधायक है लेकिन पहले कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ते थे। बता दें कि 2012 के चुनावों में इनको कांग्रेस में रहते हुए 65149 वोट मिले थे तो वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर 99446 वोट मिले और वो विजयी रहे। हालांकि उनकी इस जीत में बड़ा हाथ सपा के ओबीसी और कांग्रेस के मुस्लिम वोर्टस का भी था लेकिन इस बार ये वोर्टस भाजपा के साथ रहने की बजाए गठबंधन की तरफ चले गए है।
28 मई को हुए कैराना के उपचुनावों में गंगोह कस्बे से करीब 58 प्रतिशत मतदान हुआ तो वहीं देहात के 52 प्रतिशत मतदाता ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। खबरों की मानें तो क्षेत्र मेें कई जगह ईवीएम खराब होने के चलते मतदान बाधित हुआ था जिसके बाद चुनाव आयोग द्वारा 40 बूथ में दुबारा से मतदान कराने की बात कही जा रही है। जन की बात टीम ने जब गंगोह के देहात में जाकर लोगो से बात कि तो पता चला कि गन्ना किसान भाजपा सरकार द्वारा दिए जा रहे रेट से खुश नही है और ना ही उन्हे वक्त पर अपने गन्ने का पेमेंट मिल रहा है। क्षेत्र के वृ़द्ध लोगो की वृद्धा पेंशन बंद के चलते भी लोगो में खासी नाराजगी देखने को मिली और कहीं ना कहीं ये वजह हो सकती है लोगो द्वारा भाजपा को वोट ना करने की। हालांकि जन की बात टीम को क्षेत्र में भीम सेना की सक्रियता देखने मिली, इसी के साथ आपको बता दें कि कुछ एक समाज के लोगो ने इस उपचुनाव को भाजपा के लिए एक तरह के षार्ट टर्म षाॅक की तरह भी इस्तेमाल किया है। कैराना में पिछले कुछ समय में हुई छुट-पुट घटनाओं की वजह से भी लोगो का रूझान गठबंधन की तरफ है। जाट समाज के नेता अजित सिंह की पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र में नोटा से भी कम वोट मिले थे। बता दें 1054 वोटों के साथ पांचवे स्थान पर खड़ी होने वाली अजित सिंह की पार्टी इस बार के उपचुनावों मेें बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और भाजपा को मिलने वाले जाट वोटो को गठबंधन की तरफ करने में कामयाब भी हो सकती है। बरहाल, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा की गंगोह की जनता ने 4 पार्टियों के गठबंधन को सराहा है या फिर हुकुम सिंह के नक्शे कदम पर चल रही उनकी बेटी मृगांका सिंह को क्योकि अक्सर देखा जाता है कि वोर्टस की पसंद विधानसभा और लोकसभा में अलग हो जाती है।