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क्या आरजेडी सबसे बड़ा नेता खोने के बाद जीत पाएगा कोडरमा ?

राहुल कुमार, जन की बात

झारखंड चुनाव से पहले जहां दो राष्ट्रीय पार्टियों ने गठबंधन को अलग अलग तरीके से लिया है। एक तरफ जहां सीट बंटवारे पर सहमति ना बन पाने के कारण और एक दूसरे के विधायकों को तोड़कर अपने में मिलाने के कारण भाजपा, जेवीएम और आजशु का गठबंधन चुनाव से पहले ही टूट गया तो वही इस बार भाजपा से झारखंड की सत्ता अपने हाथ में लेने के लक्ष्य से कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी ने गठबंधन में सीट बंटवारा करते हुए चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया हैं।

अमिताभ यादव,राजद उम्मीदवार
अमिताभ यादव,राजद उम्मीदवार

इसी गठबंधन के सीट बंटवारे के तहत कोडरमा विधानसभा की सीट आरजेडी के हिस्से में आई है। कोडरमा विधानसभा बिहार राज्य से सटा हुआ है साथ ही मुस्लिम-यादव राजनीति और जाति समीकरण से यहां की राजनीति तय होती है ।

कोडरमा विधानसभा मैं आरजेडी कई चुनाव से अपने उम्मीदवार के माध्यम से प्रभाव डालता रहा है। क्षेत्र की सबसे बड़ी नेता अन्नपूर्णा देवी पिछली बार आरजेडी के टिकट से चुनाव हारने के बाद पिछली बार हुए लोकसभा में बीजेपी का दामन थाम संसद पहुंचने में कामयाब रही थी।

इस बार बीजेपी ने अपने पुराने विधायक नीरा गुप्ता को दोबारा टिकट दिया है तो वही आरजेडी ने क्षेत्र की सबसे बड़ी नेता खोने के बाद बबलू चौधरी पर दांव लगाया है । भाजपा की पूर्व सहयोगी आजसू ने भी यहां के जिला परिषद अध्यक्ष शालिनी गुप्ता को चुनाव मैदान में उतारा है। जो इस बार भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि सालनी गुप्ता ने पिछली बार भाजपा के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी।

क्या कहते हैं जमीनी हालात?

विधायक नीरा गुप्ता के लिए यह कहाँ जाता है कि उन्होंने कुछ क्षेत्रों में विकास तो करवाए हैं, लेकिन उनका व्यवहार अच्छा नहीं है । वह लोगों से कम मिलती जुलती है । इसके साथ ही लोगों मैं यह बातें भी चल रही थी कि 20 करोड़ में उन्होंने टिकट खरीदा है क्योंकि शायद वो टिकट उनके विपक्षी शालिनी गुप्ता को मिलने वाला था ।

आजसू की शालिनी गुप्ता के बारे में लोगों का कहना था कि उन्हें भाजपा द्वारा टिकट मिलने वाला था, लेकिन आखिरी वक्त में टिकट ना देकर नीरा गुप्ता को ही टिकट दिया गया । तो वहीं आरजेडी के उम्मीदवार को लेकर भी यह कहना था कि उम्मीदवार की खुद की छवि क्षेत्र में खासा लोकप्रिय नहीं है मतदान सिर्फ पार्टी के गठबंधन और जाति समीकरण के लिहाज से मतदान मिलने की आशंका है।

AJSU से खड़ी शालिनी गुप्ता पहले BJP जिला परिषद अध्यक्ष रह चुकी है,लोग उनको पसन्द करते है पर मुस्लिम और यादव के वो विरोध में रहती है।शालिनी फील्ड में भी रहती है उसकी पार्टी से ज्यादा खुद की एक इमेज है।

क्या कहती है जमीनी समीकरण ?

जमीनी समीकरण को देखते हुए मुकाबला त्रिकोणीय है लेकिन भाजपा की मीरा गुप्ता मोदी चेहरे की वजह से थोड़ी बढ़त बना शक्ति है, वही शालिनी गुप्ता काफी हद तक वोट कटर का काम करती दिख रही है वहीं आरजेडी ने अपना सबसे बड़ा नेता खोने के साथ-साथ अपने कई कार्यकर्ता और वोट बैंक को भी खोया है जिसकी भरपाई इस बार गठबंधन के माध्यम से होने की उम्मीद है । मुख्य टक्कर की बात करें तो मुकाबला भाजपा और राजद में देखने को मिल सकता है.

 

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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