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बंगाल के क्वॉरेंटाइन सेंटर का सच, देखिए प्रदीप भंडारी के साथ

जन की बात की टीम और उसके फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी लगातार देश के हरेक राज्य से लॉक डाउन के दौरान और कोरोना काल में जमीनी हकीकत आप तक पहुंचा रहे हैं। लेकिन इस बार प्रदीप भंडारी ने उन 2 राज्यों का दौरा किया जहां से आपको दिल्ली की मीडिया ने जमीनी हकीकत से रूबरू नहीं कराया। हम बात कर रहे हैं बंगाल और बिहार की। बंगाल के क्वॉरेंटाइन सेंटर का क्या हाल है? क्या ममता सरकार लोगों को सुविधाएं दे रही है या नहीं दे रही है? केंद्र की योजनाएं गरीब लोगों तक पहुंच रही है या नहीं पहुंच रही है? बंगाल में कोरोना के टेस्ट कराए जा रहे हैं या फिर नहीं?

बंगाल में क्वॉरेंटाइन सेंटर का सच क्या है?

मालतीपुर विधानसभा

जन की बात की टीम और उसके फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी बंगाल के क्वॉरेंटाइन सेंटर का सच जानने के लिए अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे। इस दौरान सबसे पहले जन कि बात की टीम मालतीपुर विधानसभा क्षेत्र के जितारपुर विलेज में बने हुए क्वॉरेंटाइन सेंटर में पहुंची। क्वॉरेंटाइन सेंटर में अधिकतर लोग 24 मई को लाए गए और 1 जून तक यानी 7 दिन हो गए लेकिन इनका कोई टेस्ट नहीं हुआ, ना ही इनको कोई मेडिकल सुविधा मिली। इसके साथ-साथ इन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर में खाना भी नहीं दिया जाता है। लोग खाना अपने घर से मंगाते हैं। यानी की ना ही खाना ,ना पानी ,ना दवा का इंतजाम सरकार ने किया है। सेंटर में ज्यादातर लोग अन्य राज्यों के हैं। लेकिन बंगाल सरकार ने इनके लिए कुछ भी नहीं। यहां तक कि किसी एक डॉक्टर ने क्वॉरेंटाइन सेंटर का दौरा तक नहीं किया है। ये बातें वहां सेंटर में रह रहे लोगों ने बताई।

आपको बता दें जब यह लोग यहां पर क्वॉरेंटाइन सेंटर में लाए गए हैं तब इनको सिर्फ एक सैनिटाइजर दिया गया था। यहां तक कि साफ सफाई करने वाला भी नहीं आता।

रतुआ विधानसभा

आपको बता दें कि जन की बात की टीम और उसके फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी सिर्फ एक ही विधानसभा क्षेत्र के क्वॉरेंटाइन सेंटर में नहीं गए। बल्कि उन्होंने रतुआ विधानसभा क्षेत्र के क्वॉरेंटाइन सेंटर का भी दौरा किया। यहां पर सबसे दयनीय स्थिति थी की ये क्वॉरेंटाइन सेंटर जंगलों में बनाया गया था। वहां पर रह रहे लोगों के लिए कोई भी सुविधा नहीं दी थी। एक तरीके से यह कहे तो सरकार ने यहां पर छलावा किया था लोगों के साथ। यहां पर सेंटर में ना ही सोने के लिए बेड, न गद्दा ,ना बिजली, न पानी लोग घांस पर सोते है और मच्छर से बचाव के लिए कोई उपाय भी नहीं।

आपको बता दें कि यहां के क्वॉरेंटाइन सेंटर को देखने के बाद प्रदीप भंडारी ने कहा कि बंगाल में गरीब यह सोचता है कि वह एक ऐसे सिस्टम के जाल में फंस चुका है जहां पर गरीब के लिए कोई सुनवाई नहीं है। इससे दयनीय स्थिति अभी तक कहीं नहीं देखी गई।

मोदी सरकार से कुछ मिला?

बंगाल यात्रा के दौरान जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने सिर्फ क्वॉरेंटाइन सेंटर से ही नहीं बल्कि गरीब जनता से भी उनका हालचाल लिया। इस दौरान उन्होंने कई बुजुर्ग लोगों से बात की और उन्होंने बताया कि मोदी सरकार से ₹500 और गैस सिलेंडर फ्री मिला लेकिन ममता सरकार ने लॉक डाउन के दौरान गरीबों को कुछ नहीं दिया। कई बुजुर्गों ने भी कहा कि केंद्र से सहायता मिली है,लेकिन राज्य सरकार ने उनका ख्याल नहीं रखा।

इन सब स्तिथियों पर प्रदीप भंडारी ने कहा कि यह सिर्फ कोरोना की लड़ाई नहीं है बल्कि ये 2021 में राजनीति में भी चर्चा का विषय बनेगा। लेकिन राजनीति से ऊपर लोगों का भला होता है।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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