कल राहुल गांधी ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कई शब्दों का प्रयोग किया। इसमें से एक शब्द था कि मोदी ने चाइना के सामने सरेंडर कर दिया। इसको लेकर देश में बहुत बवाल मचा। जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने बताया कि राहुल गांधी के बयान का कितना बड़ा असर हो सकता है।
आपको बता दें कि जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने कहा कि कल राहुल गांधी ने जो कहा वह देश और सेना के आत्मविश्वास को कम करता है और उनका राहुल गांधी का यह बयान चाइना के स्टैंड से मिलता-जुलता है। लेकिन सवाल उठता है कि राहुल गांधी ने आखिर ऐसा क्यों कहा?
अगर हम पूर्व के कांग्रेस नेताओं के बयान को देखें तो उनके बयान दुश्मन देश के बयान से ही मेल खाते थे। जब बालाकोट की एयर स्ट्राइक हुई तब भी कांग्रेस नेताओं ने सेना और सरकार पर उठाए थें। इसके बाद कई बार कांग्रेस के नेताओं ने सेना के लिए अपशब्द का प्रयोग किया। एक बार तो कांग्रेस के एक नेता ने आर्मी चीफ को सड़क का गुंडा भी बोला। इन सब बयानों से साफ पता चलता है कि कांग्रेस इस वक्त एक पार्टी के रूप में नहीं, बल्कि एक लेफ्ट एनजीओ के रूप में काम कर रही है। जो कि चाइना के ग्लोबल टाइम से अधिक मेल खाती है, ना कि भारत के लोगों की भावनाओं को समझती है।
आपको बता दें कि सवाल यह उठता है क्या यह विपक्ष का हक नहीं कि सरकार पर सवाल उठाए या सरकार की आलोचना करे?
इस पर प्रदीप भंडारी ने कहा कि विपक्ष को पूरा हक है सरकार की आलोचना करें लेकिन किसी मुद्दे को पॉलिटिसाइज ना बनाएं। हरे चीज का एक समय होता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब बीजेपी विपक्ष में थी तब अरुण जेटली ने भी राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार का साथ दिया था। उस समय भी चाइना ने लद्दाख में बदमाशी की थी लेकिन तब विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने साफ शब्दों में कहा था कि कांग्रेस का कदम आधा अधूरा है लेकिन हम राष्ट्रीय हितों को ऊपर रखते हुए इसका समर्थन करते हैं।
आपको बता दें कि इसके साथ प्रदीप भंडारी ने कहा कि सभी दलों ने चीन मुद्दे पर सरकार का साथ दिया। लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी समझते हैं कि ट्वीट करने से ट्विटर पर उनको लाइक्स मिल जाएंगे और वही लाइक बाद में वोट में कन्वर्ट हो जाएंगे , लेकिन उनको समझना चाहिए ऐसा नहीं होता।