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34 साल बाद देश में आया नया उपभोक्ता कानून, पढ़े क्या है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019

अमन वर्मा (जन की बात)

पूरे देश में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act 2019) लागू हो गया है, जिसने उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 का स्थान लिया है। तकरीबन 34 साल बाद देश में नया कंज्यूमर कानून अमल में आया है। नए कानून के मुताबिक अगर दुकानदार कैरी बैग का चार्ज वसूलता है और उपभोक्ता अगर उसकी शिकायत दर्ज कराता है तो इस पर कार्रवाई होगी। कैरी बैग के लिए अतिरिक्त पैसा लेना नए कानून में दंडनीय हो गया है। इसके साथ हीं अब घटिया सामान बेचने वालों, गुमराह करने वाले विज्ञापन देने वालों को अब जेल भी जाना पड़ सकता है। नए कानून के अनुसार अब 6 महीने की जेल या एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है। अब बड़े नुकसान पर ग्राहक को पांच लाख तक का मुआवजा भी देना होगा, नहीं तो सात साल की जेल का भी प्रावधान है। यदि खराब सामान की वजह से उपभोक्ता की मौत हो जाती है तो इसके एवज में पीड़ित को दस लाख रुपए देना होगा नहीं तो आजीवन कारावास की सज़ा भी हो सकती है।

नए उपभोक्ता कानून के दायरे में अब ई- कॉमर्स कंपनियां भी आएंगी। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट-2019 के तहत अब ग्राहक किसी भी उपभोक्ता अदालत में शिकायत कर सकता है, आपको बता दें कि इससे पहले शिकायत वहीं दर्ज कि जा सकती थी, जहां से सामान खरीदा गया हो मगर अब ऐसा नहीं होगा।

अब नियमों कि अनदेखी करने वालों पर प्राधिकरण नजर रखेगा। केंद्र सरकार उपभोक्ता अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का गठन करेगी, ये उपभोक्ता अधिकारों की अनदेखी करने वाले और भ्रमित विज्ञापन देने वालों पर कड़ी नजर रखेगी। इसके साथ हीं सी.सी.पी.ए की एक अपनी स्वतंत्र जांच एजेंसी भी होगी, जिसे पूछताछ और जांच करने की छूट होगी।

नए अधिनियम के मुताबिक सेलिब्रिटीज की भी जवाबदेही तय होगी। भ्रामक विज्ञापन करने पर अब सेलिब्रिटीज को 10 लाख तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। ये सेलिब्रिटीज का दायित्व है कि वो जिस सामान का विज्ञापन कर रहे हैं, पहले उसके बारे में जांच पड़ताल कर लें।

नए अधिनियम के अनुसार अब 1 करोड़ तक के मामलों की सुनवाई जिला स्तर पर ही होगी, पहले राष्ट्रीय स्तर पर सुनवाई होती थी।

आयोग में कई डिग्री धारकों को मौका मिलेगा। आयोग के सदस्य के रूप में 40वर्ष के कम उम्र वाले व्यक्ति की नियुक्ति होगी, जिनके पास जिला न्यायालय या ट्रिब्यूनल में अधिकारी के रूप में 10 साल तक का अनुभव होना ज़रूरी है। अन्य सभी पदो के लिए ग्रेजुएट होना ज़रूरी है। इसके साथ अगर किसी उपभोक्ता ने झूठी सिकायात की है तो उसे 50हजार तक का जुर्माना भी देना होगा।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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