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‘असली कम्युनल कौन’: प्रदीप भंडारी ने जनता को बताया सच

सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा लिखने वाले ऊर्दू लेखक इकबाल ने 1937 में मोहम्मद अली जिन्ना को एक पत्र लिखा था और एक अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग की थी…उन्होंने एक अलग मुस्लिम राष्ट्र जो शरियत के कानून से चलेगा..उसका ख्वाब देखा था…और जिन्ना ने उस ख्वाब को हकीकत में बदला….तो भले ही मुखौटा भाईचारे का हो लेकिन मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की मांग एक कम्युनल मांग थी।

स्ट्रैटजी समझी आपने?

चलो मैं समझाता हूं एक ने बुद्धिजीवी वर्ग में अपनी कम्युनल ग्रिप बनाई और दूसरे ने (जिन्ना) सड़कों पर मुसलमानों की अलग राष्ट्र की मांग को जगाया…

एक ने बुद्धिजीवी वर्ग में लड़ाई लड़ी और दूसरे ने सड़कों पर मुसलमानों की लड़ाई लड़ी…और दोनों की इस साजिश ने अखंड भारत का बंटवारा कर दिया…हम आजाद तो हुए पर बंट गए…

आज आजादी के 75 साल बाद के नए मॉडर्न भारत में कुछ बुद्धिजीवी RSS चीफ मोहन भागवत जो भारत की एकता, भारतीय पहचान ही सर्वोचारी पहचान की बात करते हैं. चाहे वह हिंदू, चाहे वह मुसलमान हो सबका डीएनए एक ही होने की बात करते हैं।

उनको कम्युनल कहते हैं, पर असली कम्युनल इस देश में कौन है?

क्या असदुद्दीन ओवैसी जो आज ये कहते हैं कि अब यूपी में मुसलमान जीतेगा, कम्युनल नहीं?

 

या जावेद अख्तर जो हमारे देश में हिंदुत्व में विश्वास रखने वालों को तालिबानी बुलाते हैं, असली कम्युनल हैं?

 

या राकेश टिकैत जो भरे मंच से अल्लाह हूं अकबर के नारे लगवाते हैं असली कम्युनल नहीं हैं?

दोस्तों संडे गार्जियन में अवतंस कुमार लिखते हैं , कि सैयद अहमद खान, इकबाल और जिन्ना की तिकड़ी ने अखंड भारत को कमजोर किया था और हमारे देश को बांटने की सोची समझी साजिश रची थी…जिसमें वो धीरे-धीरे अपने पाकिस्तान के लक्ष्य के लिए सामाजिक राजनीतिक और बौद्धिक सहमति बनाते रहे..आज जरा ध्यान से देखिए क्या हमारे देश को नए ढंग से कमजोर करने की कोशिश नहीं की जा रही है?

 

ओवैसी राजनेता हैं…मुस्लिम जीतेगा, सड़क पर मुस्लिम को एड्रेस कर रहे हैं…

जावेद अख्तर बुद्धिजीवी हैं…हर हिंदुत्व के मानने वाले को तालिबान से जोड़ रहे हैं…

टिकैत सामाजिक आंदोलन की आड़ में मुस्लिम एकता, जाट एकता की तरफ आदेश कर रहे हैं…

 

तो जावेद साहब आज आपके झूठ को जनता एक्सपोज करेगी…

तो ओवैसी साहब आज हर भारतीय आपसे पूछेगा कि आपने मुस्लिम की जीत बोला, भारतीय की जीत क्यों नहीं…

तो राकेश टिकैत जी हर किसान आपसे पूछेगा कि अल्लाह हूं अकबर से किसान एकता कैसे?

प्रदीप भंडारी की दलील सुनने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें:-

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