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क्यों बना पूर्वांचल एक्सप्रेस वे राजनीतिक दलों के लिए चुनावी अखाड़ा?

ऋषभ, जन की बात

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी, सपा और बसपा समेत तमाम राजनीतिक दलों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। राजनीतिक गलियारों में माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में सत्ता की राह पूर्वांचल से ही गुजरती है। पूर्वांचल के 28 जिले राज्य की राजनीतिक स्थिति और दिशा तय करते हैं। यही वजह है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को लेकर सपा-बीजेपी आमने सामने हैं। सपा के कार्यकर्ताओं ने पीएम से पहले ही मंगलवार को एक्सप्रेस वे के शुभारंभ का दावा किया तो अखिलेश ने उसे ट्वीट कर बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार सुबह ही एक्सप्रेस वे को लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि, ”फ़ीता आया लखनऊ से और नयी दिल्ली से कैंची आई, सपा के काम का श्रेय लेने को मची है ‘खिचम-खिंचाई’आशा है अब तक अकेले में बैठकर लखनऊवालों ने ‘समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे’ की लंबाई का आंकड़ा रट लिया होगा। सपा ‘बहुरंगी पुष्पवर्षा’से इसका उद्घाटन करके एकरंगी सोचवालों को जवाब देगी।”

बसपा प्रमुख मायावती ने भी कहा था कि भाजपा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है। पश्चिम यूपी में नोएडा को पूर्वी यूपी के जिलों से जोड़ने के लिए एक्सप्रेस-वे परियोजना की योजना तब तैयार की गई थी जब बसपा सत्ता में थी। तब केंद्र की कांग्रेस सरकार की तरफ से लगाई गई बाधाओं के कारण परियोजना शुरू नहीं की जा सकी।

कई मायनों में अहम है पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे कई मायनों में अहम है. राजनीति में कहा जाता है कि लखनऊ का रास्ता पूर्वांचल से होकर गुजरता है और पूर्वांचल में एक्सप्रेस-वे को भुनाने की बीजेपी जोरशोर से तैयारी कर रही है. विकास के इसी मॉडल के सहारे बीजेपी पूर्वांचल पर पकड़ बनाने की कोशिश में जुटी है.

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