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लाउडस्पीकर पर अज़ान करना ‘सेक्युलर’ और हनुमान चालीसा  ‘कम्युनल’?: प्रदीप भंडारी

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने पिछले हफ्ते मस्जिदों के लाउडस्पीकर बंद करने की मांग की थी।उन्होंने मुंबई में कहा था, “अगर इसे नहीं रोका गया तो मस्जिदों के बाहर स्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाएंगे।” मंगलवार को जनता का मुकदमा के प्राइम टाइम शो में प्रदीप भण्डारी ने इसी मुद्दे पर बात की और सेकुलरिज्म के ढोंग का पर्दाफाश किया.

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, “दोस्तों मुझे और आपको बेवकूफ बनाया गया है. हां मैं यह दोहराता हूं कि आपको और मुझे बेवकूफ बनाया गया है. सविधान में सेकुलर शब्द को डाल तो दिया पर जब से यह सेकुलर शब्द डाला गया है सिर्फ सेकुलरिज्म का ढोंग और सेकुलरिज्म के नाम पर हिंदुओं का आत्मसम्मान और उनके धर्म को नज़र अंदाज किया गया है.”

मुस्लिम करे तो धर्मनिरपेक्ष हिंदू करे तो सांप्रदायिक: प्रदीप भंडारी

प्रदीप ने कहा कि लाउडस्पीकर से अज़ान पढ़ना धार्मिक स्वतंत्रता है पर उसी लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा पढ़ी जाए तो सेक्युलरिज्म खतरे में पड़ जाता है. मुस्लिम करे तो धर्मनिरपेक्ष हिंदू करे तो सांप्रदायिक. हलाल मीट मुस्लिम के लिए खाने की स्वतंत्रता है और जब हिंदू झटका मीट की मांग करें तो हिंदू इस्लामोफोबिक हो जाता है.कश्मीरी हिंदुओं की हत्या होती है तो कहते हैं ‘हुआ तो हुआ’ पर अखलाक और पहलू की मौत पर पूरा देश का मुस्लिम खतरे में आ जाता है. वही एक मासूम बच्चे की कट्टरपंथियों से करौली में जान बचाने वाला जवान कॉन्स्टेबल नेत्रेश शर्मा पर यह मौन हो जाते हैं.

देश पूछ रहा है, लाउडस्पीकर से ही अज़ान जरूरी क्यों?: प्रदीप भंडारी

प्रदीप भंडारी ने कहा कि मुस्लिम चिल्लाए तो शेर, हिंदू जान बचाए तो सन्नाटा.  हथियार लेकर गोरक्षनाथ मंदिर पर हमला करने वाला अल्लाह हू अकबर बोलने वाला परेशान आईआईटी ग्रैजुएट, लेकिन जामिया का शूटर गोपाल की आड़ में राम भक्तों पर वार . इसी ढोंगी सेकुलरिज्म का आज देश पर्दाफाश कर रहा है और पूछ रहा है, लाउडस्पीकर से ही अज़ान जरूरी क्यों?

प्रदीप ने कहा कि जब मस्जिद में अजान के वक्त लाउडस्पीकर तो फिर मंदिर में हनुमान चालीसा लाउडस्पीकर से क्यों नहीं हो सकती, हनुमान चालीसा पढ़ने से धार्मिक सद्भाव भंग हो जाती है पर अज़ान पढ़ने से नहीं? कुरान में जब कहीं नहीं लिखा कि लाउडस्पीकर से ही अज़ान पढ़नी है तो फिर दिक्कत क्यों? कोई धर्म यह नहीं दावा कर सकता की लाउडस्पीकर इस्तेमाल करना जरूरी धार्मिक कार्य है. यह मैं नहीं कह रहा हूं यह सुप्रीम कोर्ट इन चर्च में इंडिया वर्सेस केकेआर ने जस्टिस केस में 2000 में कहां था.

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