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बंगाल में हुई खूनी हिंसा पर 1 साल पहले प्रदीप भंडारी ने सबसे पहले उठाई थी आवाज़

हिमानी जोशी, जन की बात

बंगाल में पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में मृत भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की हत्या के बाद जन की बात के संस्थापक और जनता का मुकदमा शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने पश्चिम बंगाल में फैली खूनी हिंसा के विरुद्ध सबसे पहले ठीक आज के दिन( 2 मई ) आवाज़ उठाई थी, और सीबीआई जांच की मांग की थी. इसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर इस हत्याकांड की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई. आज इस घटना को पूरे 1 साल हो चुके हैं.

दरअसल, पिछले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2021 की (Post Poll Violence West Bengal) 2 मई को चुनाव के  नतीजे घोषित होने के बाद से बड़े पैमाने पर राजनीतिक हिंसा हुई। चुनाव के नतीजे घोषित होते ही टीएमसी के गुंडों ने राज्य के अलग-अलग इलाके में हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की। यही नहीं टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी और उनके समर्थकों पर हमले किए और उनकी हत्याएँ कीं।

बंगाल हिंसा में पीड़ितों की आवाज़ उठाना सिर्फ मेरी वकालत नहीं: प्रदीप भंडारी

पिछले साल 2 मई को हुई हिंसा के बाद ममता बनर्जी ने अपने बयान में कहा था कि चुनाव के बाद कुछ नहीं हुआ था. इस पर प्रदीप भंडारी ने ममता बनर्जी को तथ्यों के साथ जवाब देते हुए कहां था कि, ‘मुख्यमंत्री जी आपने कहा कि कुछ नहीं हुआ, मुख्यमंत्री जी सब कुछ हुआ यह मैं नहीं देश की जनता आपसे कह रही है बंगाल चुनाव में सब कुछ हुआ. दोस्तों जो आपने जन समर्थन जनता का मुकदमा को दिया है वह यह दर्शाता है कि बंगाल हिंसा में पीड़ितों की आवाज उठाना सिर्फ मेरी वकालत नहीं, यह देश की जनता की वकालत है और इसका संज्ञान कलकत्ता हाई कोर्ट ले चुका है।

प्रदीप भंडारी ने अभिजीत सरकार की माता से लाइव बातचीत की थी

राजधानी कोलकाता के बेलियाघाटा इलाके में अभिजीत की हत्या के बाद प्रदीप भंडारी ने अभिजीत सरकार के परिजनों से लाइव बातचीत की थी और इस दौरान उन्होंने उनकी माता जी से बात करते हुए कहा था कि ‘आपका कष्ट देश का कष्ट है’. प्रदीप भंडारी से बात करने के दौरान अभिजीत की मां फूट-फूट कर रोई और अपने बेटे के लिए इंसाफ की गुहार लगा रही थी. प्रदीप भंडारी ने कहा,’पिछले 70 दिनों से यह मां सिर्फ यह चाह रही है कि इसके 35 साल के बेटे की हत्या के गुनहगारों को पकड़ा जाए और उनके बेटे की एक ही गलती थी कि उसने संविधान के हिसाब से, अभिव्यक्ति की आज़ादी के हिसाब से अपने अधिकार का प्रयोग किया’.

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