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कानपुर हिंसा के पीछे PFI कनेक्शन को लेकर बड़ा खुलासा, एटीएस करेगी जांच

पैगंबर मोहम्मद साहब पर भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की की गई विवादित टिप्पणी के बाद कानपुर में शुक्रवार दोपहर नमाज के बाद नई सड़क पर प्रदर्शन के बाद जमकर बवाल हुआ. दो समुदाय के बीच जमकर पथराव हुआ पथराव में गाड़ियां तोड़ दी गई और फायरिंग के साथ बमबाजी भी हुई. पथराव में आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए. अब पुलिस अधिकारियों का मानना है कि दंगे के पीछे की साजिश में पीएफआई का हाथ है. इसी के चलते उन सारी वजहों पर जांच जारी है.

कानपुर हिंसा में अब तक 29 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, जबकि 36 लोगों को नामजद किया गया है. कानपुर हिंसा की जांच के लिए SIT गठित की गई है. सीसीटीवी फुटेज से यह पता चला है कि बोतल में भरकर पेट्रोल लाया गया था और ऊंची इमारतों से भी पथराव किया गया था.

क्या है पीएफआई

पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को एक चरमपंथी इस्लामी संगठन माना जाता है. इसका गठन साल 2006 में एनडीएफ यानी नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के मुख्य संगठन के तौर पर किया गया था. इसका मुख्यालय दिल्ली में है. पीएफआई यूपी समेत करीब 7 राज्यों में एक्टिव है. साल 2012 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने पीएफआई की गतिविधियों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था. योगी सरकार भी कई बार पीएफआई को बैन करने की मांग कर चुकी है. केरल में पीएफआई पर आरएसएस से जुड़े कई राजनेताओं की हत्या के आरोप हैं . इस कट्टर इस्लामिक संगठन के खिलाफ लव जिहाद के 23 मामलों की जांच एनआईए के पास है. सीएए-एनआरसी प्रदर्शन में हिंसा की फंडिंग का आरोप भी पीएफआई पर लगा है.

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