कुछ देशों के पास परमाणु हथियारों के बढते जखीरे ने एक बार फिर यह सवाल खडा कर दिया है कि आखिर यह होड कैसे और कब थमेगी ? हालांकि व्यावहारिक तौर पर इस सवाल का जबाब किसी के पास नहीं होगा, क्योंकि परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र अब इस दिशा में जितना आगे निकल चुके हैं, वहां से लौटना मुमकिन है नहीं। जाहिर है, यह खतरा और बढेगा ही। गौरतलब है कि 1945 में दूसरे विश्व युद्घ को दौरान जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराकर अमेरिका ने दुनिया को इसकी विनाशकारी शक्ति दिखा दी थी। आज तो हाइड्रोजन बम, न्यूट्रान बम और न जाने कितने खतरनाक बम तैयार हो गए हैं जो चंद मिनटों मे दुनिया की बडी आबादी को भाप में तब्दील कर सकते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि आज कुछ देशों के पास कुल मिलाकर जितने परमाणु हथियार हैं, वे एक नहीं कई बार धरती को नष्ट कर सकते हैं। परमाणु हथियारों को लेकर ताजा चिंता इसलिए पैदा हुई है कि शीत युद्ध के बाद पहली बार वैश्विक स्तर पर ऐसे हथियारों का जखीरा बढने का दावा किया जा रहा हैं। स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी सलाना रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अगले एक दशक में परमाणु शक्ति संपन्न देश अपने हथियारों की संख्या बढा सकते हैं। दरअसल, आज जिस तरह वैश्विक तनाव बढता जा रहा है, उससे यह खतरा स्वाभाविक ही है कि कहीं कोई देश परमाणु हथियार इस्तेमाल न कर बैठे। रूस- यूक्रेन युद्ध हम देख ही रहे हैं। रूस खुलेआम अमेरिका और पश्चिमी देशों को धमकी दे चुका है कि अगर यूक्रेन के साथ आए तो वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से हिचकिचाएगा नहीं। निश्चित रूप से रूस की यह धमकी बेवजह नही रही होगी। आज भी दुनिया में मौजूद कुल परमाणु हथियारों में नब्बे फीसद हथियार तो सिर्फ रूस और अमेरिका के पास ही हैं। मोटा अनुमान है कि रूस के पास पांच हजार नौ सौ सतहत्तर और अमेरिका के पास पांच हजार चार सौ अठ्ठाईस परमाणु हथियार हैं। चीन भी अपने परमाणु हथियारों की तादाद बढा रहा हैं। फ्रांस और ब्रिटेन के पास भी ऐसे हथियार कम नही है। भारत और पाकिस्तान के अलावा इजराइल भी परमाणु संपन्न देशों की कतार में आ चुका है। और अब सबसे बडा खतरा उत्तर कोरिया से खडा हो गया है। जिसने पिछले कुछ सालों में लगातार परीक्षण करते हुए अपने को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र घोषित कर डाला । अब यह सवाल महत्वपूर्ण नहीं है कि किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं। जितने भी हैं और जिसके पास भी हैं, वे सपूर्ण प्राणी जगत के लिए बडा खतरा है। हालांकि हर परमाणु शक्ति संपन्न देश को लगता है कि इन हथियारों को हासिल कर वह सुरक्षित हो गया है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? अगर परमाणु हथियार हासिल कर वह सुरक्षित हो सकते है तो फिर बाकी देश भी अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियार बनाएंगें। तब उन्हें कौन रोक पाएगा ? वैसे भी कई देश चोरी छिपे इस काम में लगे ही हैं। सवाल तो यह है कि आखिर रूस और अमेरिका सहित कुछ देशों को ही परमाणु हथियार बनाने और आधुनिकीकरण करने का अधिकार क्यूं होना चाहिए ? कहां गया निरस्त्रीकरण का सिद्धांत ? परमाणु हथियारों का होड को रोकने के लिए बनी संधियों का हश्र किसी से छिपा नहीं है। परमाणु हथियारों से मुक्ति पाने के लिए उन्हीं देशों को हिम्मत दिखानी पडेगी जिनके पास इनके भंडार भरे पडे हैं ।
० लेखक के सभी विचार व्यक्तिगत हैं।