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क्या अमित शाह के दौरे से लालू और नीतीश खेमे में मची खलबली?- प्रदीप भंडारी की  दलील

शुक्रवार को अपने शो जनता का मुकदमा पर शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बिहार के सीमांचल एरिया में अपने 2 दिवसीय दौरे पर बात की।

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, बिहार के पूर्णिया में गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी रैली में सीएम नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि बीजेपी को धोखा देकर स्वार्थ के लिए लालू की गोद में नीतीश बैठ गए. मेरे दौरे से लालू यादव और नीतीश कुमार के पेट में दर्द हो रहा है. उन्होंने लालू को आगाह करते हुए कहा कि लालू जी आप ध्यान रखिएगा, नीतीश बाबू कल आपको छोड़कर कांग्रेस की गोदी में बैठ जाएंगे।

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, 2024 के पहले और नीतीश जी के साथ गठबंधन टूटने के बाद अमित शाह का यह पहला बिहार दौरा है।‌ 2019 में भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के चेहरे पर नीतीश कुमार 40 में से 39 सीट जीते थे । 2014 में जब नीतीश कुमार अलग थे, और नरेंद्र मोदी के चेहरे पर  बीजेपी आगे गई थी तो गठबंधन ने 25 से ज्यादा सीटें जीती थी वहीं नीतीश कुमार को बस 2 सीटें मिली थी। लेकिन उस वक्त नीतीश कुमार और लालू यादव एक साथ नहीं थे दोनों लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर 50% से 60% से ज्यादा सीट एनडीए जीती है।

दोनों लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार फेल हुए हैं, उनका चेहरा कहीं काम नहीं आया। और जिन चुनावों में नीतीश कुमार को जीत हासिल हुई है उन चुनावों में सिर्फ नरेंद्र मोदी का चेहरा काम आया है।

प्रदीप भंडारी ने आगे कहा कि, अमित शाह ने बिहार में अपने संबोधन में कहा है कि 2024 में भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी, और 2025 में भी अकेले ही लड़ेगी आप इससे यह समझ सकते हैं कि बिहार में भी भाजपा यूपी वाली रणनीति चला रही है। जहां बीजेपी ने अखिलेश और मायावती के गठबंधन होने के बावजूद 50% वोट लेकर आई थी 2019 में।

तो क्या अमित शाह की बिहार में भी यही रणनीति होने वाली है , दूसरा अमित शाह ने बिहार के जंगल राज और राहुल गांधी नीतीश कुमार के पीएम उम्मीदवार वाली पद पर ज्यादा ध्यान दिया। इसका मतलब साफ है 2019 में भी बीजेपी जीती थी और तब भी नरेंद्र मोदी वर्सेस ऑल हुआ था और 2024 में भी नरेंद्र मोदी वर्सेस ऑल होगा। रविवार को नीतीश कुमार और लालू यादव सोनिया जी से मिलने जा रहे हैं, यह तो बीजेपी के पाले में गेंद देने जैसा हो गया। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या 2019 की तरह 2024 में भी नितेश लालू गठबंधन होने के बावजूद बीजेपी 50% से ज्यादा सीट ला पाएगी।

 

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