हिमाचल में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं। 2017 में चुनाव के दौरान भाजपा 44 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को 21, सीपीआई (एम) को एक सीट मिली थी। दो निर्दलीय प्रत्याशी भी विधायक बने थे, जिन्होंने भाजपा सरकार को समर्थन दे दिया था। बाद में कुछ सदस्यों के निधन के बाद उपचुनाव भी हुए, जिसके बाद सियासी समीकरण में थोड़ा बदलाव हुआ।
कितनी सीटें किस वर्ग के लिए आरक्षित
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की 68 सीटें हैं। 2017 में 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं, जबकि तीन सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थीं। राज्य में 48 विधानसभा सीटें सामान्य वर्ग के लिए थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 44, कांग्रेस ने 21 और अन्य ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, वर्ष 2021 में कांग्रेस ने तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। इनमें अर्की, फतेहपुर व जुब्बल-कोटखाई विस सीट शामिल है।
मतदाताओं में 2.21 फीसदी की वृद्धि, सुलह में सबसे ज्यादा
मतदाता सूची में 1,18,852 मतदाताओं की वृद्धि हुई है, जो 2.21 फीसदी है। मतदाता सूची को भी अंतिम रूप से प्रकाशित कर दिया गया है। अब तक राज्य में 67,532 सेवा मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। कांगड़ा जिले के सुलह विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 1,04,486 मतदाता हैं। लाहौल और स्पीति विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 24,744 मतदाता हैं। सभी मतदाता सूचियां वोटर हेल्पलाइन मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से सूची में पंजीकृत अपने नाम का निरीक्षण कर सकते हैं। यदि सूची में उनका नाम नहीं है या बदलाव की आवश्यकता हो तो फार्म-6 और फ ार्म-8 के माध्यम से सुधार किया जा सकता है।
प्रदेश में 1,63,925 नए मतदाता
मतदाताओं का लिंग अनुपात 978 से बढ़कर 981 हो गया है। 1,63,925 नए मतदाता पंजीकृत किए गए हैं। 16 अगस्त 2022 को चुनाव विभाग ने मतदाता सूचियों के प्रारूप प्रकाशन के समय राज्य में 53,88,409 मतदाता पंजीकृत थे। फोटो मतदाता सूची के संशोधन के बाद मृत्यु, स्थानांतरण और पंजीकरण के दोहराव के कारण 45,073 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं।
वर्ष 2017 में 13 अक्तूबर को हुई थी चुनाव की घोषणा
वर्ष 2017 में प्रदेश विधानसभा चुनाव 13 अक्तूबर को ही घोषित हुए थे। इसके साथ ही आदर्श चुनाव आचार संहिता 13 अक्तूबर को लगी तो उस वक्त तय हुआ कि मतदान 9 नवंबर और मतगणना 18 दिसंबर को होगी। राज्य में नवंबर में अगर मतदान करवाने के लिए देरी हो जाए तो विधानसभा चुनाव करवाने में दिक्कत आती है, क्योंकि यहां ऊंचाई वाले क्षेत्र बर्फ से लकदक हो जाते हैं।