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नौकरी पर लौटे पहलवान, आंदोलन खत्म होने की खबर पर बोली साक्षी मलिक- रेलवे में जिम्मेदारी निभा रही हूं, लड़ाई से पीछे नहीं हटी

भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बीते कुछ महीनों से पहलवानों ने मोर्चा खोल रखा है। प्रदर्शन कर रहे पहलवान बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे है। बता दें कि रविवार को प्रदर्शनकारी पहलवानों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। उन्‍होंने पहलवानों से लगभग 2 घंटों तक बातचीत की थी। इसके बाद यह खबर आने लगी कि साक्षी ने आंदोलन से नाम वापस ले लिया है। हालांकि कुछ देर में साक्षी मलिक ने ट्वीट कर कहा कि ये खबर बिल्कुल गलत है।  इंसाफ़ की लड़ाई में ना हम में से कोई पीछे हटा है, ना हटेगा। सत्याग्रह के साथ साथ रेलवे में अपनी जिम्मेदारी को साथ निभा रही हूं। इंसाफ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी है। कृपया कोई गलत खबर ना चलाई जाए।

दरसल, विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट WFI अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ चल रहे आंदोलन का मुख्य चेहरा हैं। यह तीनों रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौट गए हैं। इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया कि तीनों ने आंदोलन से नाम वापस ले लिया है।

जिसके बाद बजरंग ने भी ट्वीट कर खबरों को गलत बताया है। उन्होंने लिखा- आंदोलन वापस लेने की खबरें कोरी अफवाह हैं। ये खबरें हमें नुकसान पहुंचाने के लिए फैलाई जा रही हैं। हम न पीछे हटे हैं और न ही हमने आंदोलन वापस लिया है। महिला पहलवानों की एफआईआर उठाने की खबर भी झूठी है। इंसाफ मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी। पहलवानों के ट्वीट से यह साफ है कि साक्षी, बजरंग और विनेश रेलवे में अपनी नौकरी पर जरूर वापस लौट गए हैं, लेकिन इंसाफ के लिए उनका आंदोलन जारी रहेगा।

दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की हैं, जिनमें एक प्राथमिकी नाबालिग पहलवान के आरोपों के आधार पर पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत दर्ज की गई है। पुलिस ने 28 अप्रैल को कनॉट प्लेस पुलिस थाने में दो प्राथमिकी दर्ज की थीं, जिसमें एक में नाबालिग पहलवान के पिता द्वारा दी गई शिकायत पर बच्चों को यौन शोषण से संरक्षण दिलाने वाला पॉक्सो अधिनियम लगाया गया था, जिसमें दोषी पाए जाने पर सात साल तक की जेल की सजा होती है।

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