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‘हिंदू धर्म पर हमला है फिल्म ओपनहाइमर’: उदय माहुरकर के पत्र के बाद अनुराग ठाकुर ने लिया एक्शन

क्रिस्‍टोफर नोलन की फिल्‍म ‘ओपेनहाइमर’ में भागवत गीता के अपमान पर सेव कल्चर सेव इंडिया फाउंडेशन के फाउंडर उदय माहुरकर द्वारा फिल्म निर्माता नोलन को पत्र लिखे जाने के बाद अब सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी एक्शन मोड़ में आ गए हैं। उन्होंने सेंसर बोर्ड से पूर्ण जवाबदेही की मांग की है, साथ ही बिना देरी किए फिल्म निर्माताओं को आपत्तिजनक दृश्य हटाने के भी निर्देश दिए हैं। फिल्‍म ने दो द‍िनों वर्ल्‍डवाइड 800 करोड़ रुपये का ग्रॉस कलेक्‍शन कर लिया है। लेकिन इस बीच फिल्म में एक इंटीमेट सीन के दौरान भगवद गीता के श्‍लोक पढ़े जाने के कारण हिंदू समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हो गई हैं। ‘सेव कल्चर सेव इंडिया फाउंडेशन’ का कहना है क‍ि ‘ओपेनहाइमर’ में ऐसे सीन्स हैं, जो हिंदू धर्म पर तीखा हमला करते हैं। फिल्म के एक सीन में दिखाया गया है कि एक औरत एक पुरुष के साथ सेक्स करते समय जोर-जोर से भगवत गीता पढ़ रही है। सोशल मीडिया पर भी यूजर्स ने मेकर्स से अपील की है क‍ि वह फिल्‍म के इन सीन्‍स को तत्‍काल हटाएं।

एक्शन में अनुराग ठाकुर

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने फिल्म ओपेनहाइमर में आपत्तिजनक दृश्य के खिलाफ गंभीर कार्रवाई की है। अनुराग ठाकुर ने स्पष्ट रूप से फिल्म के निर्माताओं को बिना किसी देरी के दृश्य हटाने का निर्देश दिया है। जबकि फिल्म की स्क्रीनिंग में शामिल सभी सीबीएफसी सदस्यों से जवाबदेही की मांग की है।

ठाकुर ने कहा “सीबीएफसी के सदस्य जनता के हितों की रक्षा करने के अपने कर्तव्य में विफल रहे हैं और उन्हें अपने कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा”

उदय माहुरकर ने क्रिस्टोफर नोलन को लिखा पत्र

सेव कल्चर सेव इंडिया फाउंडेशन के फाउंडर उदय माहुरकर ने इस मामले में फिल्म निर्माता क्रिस्टोफर नोलन को ट्विटर के माध्यम से एक पत्र भी लिखा। उन्होंने अपने पत्र में लिखा…

“प्रिय क्रिस्टोफर नोलन,

सेव कल्चर सेव इंडिया फाउंडेशन की ओर से नमस्ते।यह हमारे संज्ञान में आया है कि फिल्म ओपेनहाइमर में एक दृश्य है जो हिंदू धर्म पर तीखा हमला करता है।

सोशल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म के एक सीन में दिखाया गया है कि एक महिला एक पुरुष के साथ संभोग करते समय जोर-जोर से भगवत गीता पढ़ती है। उनके एक हाथ में भगवत गीता है और दूसरे हाथ से वह अपने प्रजनन अंगों की स्थिति को ठीक करती दिख रही हैं।

भगवत गीता हिंदू धर्म के सबसे प्रतिष्ठित ग्रंथों में से एक है। गीता अनगिनत संन्यासियों, ब्रह्मचारियों और महापुरूषों के लिए प्रेरणा रही है जो संयम का जीवन जीते हैं और निःस्वार्थ महान कार्य करते हैं।

हम फिल्म के इस अनावश्यक दृश्य के पीछे की प्रेरणा और तर्क को नहीं जानते। लेकिन यह एक अरब सहिष्णु हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं पर सीधा हमला है, बल्कि यह हिंदू समुदाय के खिलाफ युद्ध छेड़ने के समान है, और लगभग हिंदू विरोधी ताकतों की एक बड़ी साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।

हम बहुत ध्रुवीकृत दुनिया में रह रहे हैं। एजेंसियां, मीडिया, राजनीति और यहां तक कि आपका हॉलीवुड फिल्म उद्योग भी इस तथ्य को लेकर बहुत संवेदनशील है कि कुरान और इस्लाम को कभी भी इस तरह से चित्रित नहीं किया जाता है, जो एक आम मुसलमान के मूल्यों को ठेस पहुंचा सकता है। भले ही आप इस्लामी आतंकवाद पर आधारित कुछ भी बनाएं। इस रेड लाइन को पार करने का प्रयास करने वालों के लिए एक शब्द लोकप्रिय हो गया है – “इस्लामोफोबिया” यही शिष्टाचार हिंदुओं के प्रति भी क्यों नहीं होना चाहिए?

आपकी फिल्म निर्माण की कला की भारत में बहुत सराहना होती है। हमारा मानना है कि यदि आप हिंदुओं का दिल जीतने के लिए आवश्यक कदम उठाएं और इस दृश्य को हटा दें, तो यह एक संवेदनशील इंसान के रूप में आपकी साख स्थापित करने और आपको अरबों अच्छे लोगों की दोस्ती का उपहार देने में काफी मदद करेगा।

हम अरबों हिंदुओं और गीता द्वारा जिन सभी लोगों के जीवन में बदलाव आया है, उनकी तरफ से आपसे आग्रह करते हैं की हमारे पूजनीय ग्रंथ की गरिमा बनाए रखने के लिए दुनिया भर में अपनी फिल्म से इस दृश्य को हटाने के लिए आप वो सब करें जो आवश्यक है।

यदि आप इस अपील को नजरअंदाज करना चुनते हैं तो इसे भारतीय सभ्यता पर जानबूझकर किया गया हमला माना जाएगा। आवश्यक कार्रवाई का बेसब्री से इंतजार है।

नमस्कार

उदय माहुरकर

संस्थापक,

सेव कल्चर सेव इंडिया (एससीएसआई) फाउंडेशन”

जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़

‘सेव कल्चर सेव इंडिया फाउंडेशन’ ने कहा, ‘हम बहुत अजीब दुनिया में रह रहे हैं। इसलिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा तत्काल इस मामले की जांच की जानी चाहिए और इसमें शामिल लोगों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। जैसा कि हाल ही में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर जी ने कहा और यहां तक कि पिछले कुछ वर्षों में अदालतों ने भी देखा है, हमें जो मनोरंजन मिलता है वह जनता की सांस्कृतिक और नैतिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। जनता को अपने मूल्यों पर बार-बार होने वाले हमलों से लड़ना चाहिए क्योंकि कॉन्टेंट क्रिएटर्स को क्रिएटिविटी के नाम पर इसे बनाने की खुली छूट मिलती है। इसके खिलाफ आवाज उठानी ही होगी।’

‘सेव कल्चर सेव इंडिया फाउंडेशन’ ने देश की जनता की ओर से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से आग्रह किया है कि वह हिंदुओं की पूजनीय और पवित्र किताब की गरिमा को बनाए रखने के लिए सब कुछ करें, ताकि इसमें शामिल लोगों को दंडित किया जाए और भविष्य में ऐसी चीजें न हों।

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Vipin Srivastava
Vipin Srivastava
journalist, writer @jankibaat1

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