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मध्य प्रदेश 2023 का चुनाव “HWW” पर होगा आधारित! क्या है इसका मतलब? पढ़िए प्रदीप भंडारी का विश्लेषण

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं। ऐसे में सभी पार्टियों ने इसके लिए कमर कास ली है। खासतौर से बीजेपी और कांग्रेस अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं इस चुनाव को जीतने के लिए। एक तरफ जहाँ बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे को आगे लाकर कांग्रेस को घेर रही है, वहीँ दूसरी तरफ अशोक गहलोत की सरकार एंटी इन्कोम्बेंसी से पार पाने के लिए राज्य में कर्नाटक मॉडल लाने का प्लान बना रहे हैं। इन सब के बीच प्रदीप भंडारी ने एमपी चुनाव से पहला अपना एक छोटा विश्लेषण जनता के सामने रखा है। उन्होंने कहा है की इस बार मध्य प्रदेश में चुनाव HWW पर लड़ा जाने वाला है। यानि हिंदुत्व, वुमन और वेलफेयर पर यह चुनाव लड़ा जायेगा।

प्रदीप भंडारी ने अपने एक विश्लेषण विडियो में कहा की ‘मध्य प्रदेश 2023 का चुनाव “HWW” पर लड़ा जाने वाला है। जिसका मतलब है हिन्दू वोट, वूमन वोट और वेलफेयर।”

प्रदीप भंडारी ने कहा “पीएम नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा है की वो सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के खिलाफ हैं। DMK नेताओं के सनातन धर्म पर हमले के बाद एक भी I.N.D.I.A गठबंधन के नेता ने उसकी निंदा नहीं की है। इसका मतलब साफ़ है की मध्य प्रदेश के अन्दर भारतीय जनता पार्टी इसको मुख्या मुद्दा बनाना चाहेगी। पर इसके साथ में हमने देखा था 2018 के चुनाव में किस तरीके से बेहद टक्कर की लड़ाई हुई थी, जिसमें कांग्रेस पार्टी को ज्यादा सीटें मिली थीं।

प्रदीप भंडारी ने आगामी चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पर बात करते हुए कहा “इस बार चुनाव में महिला वोट मुख्य क्राइटेरिया होने वाला है। बीजेपी सस्ता गैस सिलेंडर और लाडली बहन योजना के तहत 1250 रूपए अकाउंट में देने की बात कर रही है। वहीँ कांग्रेस पार्टी भी महिलाओं को 1500 रूपए देने की बात कर रही है। जिसका मतलब है की जिसको सबसे ज्यादा महिला वोट मिलेंगे वो मध्य प्रदेश के अन्दर सरकार बनाएगा। इसके अलावा तीसरा प्वाइंट है वेलफेयर। जहाँ दोनों पार्टियाँ और ज्यादा से ज्यादा वेलफेयर स्कीम्स का वादा कर रही हैं। एक तरफ बीजेपी एंटी इनकबेंसी की बात कर रही वहीं कांग्रेस इस बार एमपी में कर्नाटक के मॉडल को री-पैकेज कर के वोटर्स तक जाने की कोशिश कर रही है। लेकिन बाजी वही मरेगा जिसको ज्यादा महिला वोट मिलेगा। क्योंकि पिछले चुनाव में मध्य प्रदेश के अन्दर महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत और पुरुषों के वोटिंग प्रतिशत के बीच 1.68% का अंतर रहा था। वहीं 1962 के चुनाव में यह अंतर 26% का था। आजादी के बाद उस समय सत्ता का फैसला पुरुष करते थे, लेकिन अब ये फैसला महिलाएं कर रही हैं कि सत्ता में कौन आयेगा।”

नवंबर में हो सकते हैं चुनाव

आपको बता दें की मध्य प्रदेश में इसी साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। हालाकि तारीखों का ऐलान अभी तक इलेक्शन कमिशन ने नहीं किया है।

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Vipin Srivastava
Vipin Srivastava
journalist, writer @jankibaat1

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