प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 जून को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर की चेनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल ‘चेनाब रेल ब्रिज’ को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। यह ऐतिहासिक पुल न केवल कश्मीर घाटी को पूरे भारत से जोड़ेगा, बल्कि क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक विकास को भी नई गति देगा। इतना ही नहीं वह राज्य को अन्य बड़ी सौगातें देंगे और रेल-सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने वाली कई अहम परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।
यह पुल चेनाब नदी पर बना है और इसकी ऊंचाई 359 मीटर है जो एफिल टॉवर से भी ऊंचा है। यह 1,315 मीटर लंबा स्टील आर्च ब्रिज है जिसे भूकंप और तेज़ हवाओं को सहने के लिए तैयार किया गया है। यह कुतुब मीनार से पांच गुना ऊंचा है। 1.31 किलोमीटर लंबा यह पुल 28,660 मेगाटन स्टील से निर्मित है और इसे -10 डिग्री से 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है।
चिनाब ब्रिज का निर्माण हिमालय के जटिल भू-भाग और प्रतिकूल मौसम में किया गया। इसे बनाने में 22 साल लगे और इसमें दो विशाल केबल क्रेन का उपयोग किया गया। यह पुल 266 किमी/घंटे की रफ्तार वाली हवाओं और रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता वाले भूकंप का सामना कर सकता है। यह पुल कटरा से बनिहाल तक रेल संपर्क को सुगम बनाएगा, जिससे कश्मीर घाटी का रेल नेटवर्क देश के अन्य हिस्सों से जुड़ जाएगा। इसके उद्घाटन के बाद कटरा-श्रीनगर वंदे भारत ट्रेन सेवा शुरू होगी, जो यात्रा के समय को 6-7 घंटे से घटाकर 3 घंटे कर देगी।
चिनाब ब्रिज को ब्लास्ट-प्रूफ और भूकंपरोधी बनाया गया है। इसकी शेल्फ लाइफ 120 साल है। पुल पर विशेष पेंट का उपयोग किया गया है, जो इसे जंग से बचाता है। साथ ही, सुरक्षा के लिए 24 घंटे जवानों की तैनाती और हेलीपैड की व्यवस्था की गई है। इस पुल का निर्माण 1,486 करोड़ रुपये की लागत से हुआ। इसे कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड और एफकॉन्स इंडिया ने मिलकर बनाया। हालांकि कश्मीर को रेल मार्ग से जोड़ने की परियोजना पर काम 1997 में शुरू हुआ था तथा भूवैज्ञानिक, स्थलाकृतिक तथा मौसम संबंधी चुनौतियों के कारण इस परियोजना के पूरे होने की समय सीमा कई बार बढ़ाई गई। इसके कारण परियोजना की लागत बढ़ गई और इसे पूरा करने में 41,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई।