राहुल कुमार, जन की बात
चुनाव और चुनाव की सरगर्मी लगातार चल रही है हमने बताया था कि कैसे क्षेत्रीय पार्टी चौथे चरण में अपनी पार्टी और क्षेत्रीय नेतृत्व के दम पर राष्ट्रीय पार्टियों को पसीने छुड़ा रही हैं।
धनबाद जिले के सिंदरी विधानसभा के साथ ही लगा निरसा विधानसभा है जहां इस बार झारखंड में इकलौती सीट जीतने वाली एम.सी.ओ(MCO) पार्टी अपने इस सीट को बचाने में लगी है, वही भाजपा ने अपने नए उम्मीदवार को उतारा है ।
अगर बात करें मार्क्ससिस्ट-को-आर्डिनेशन(MCO) के इकलौते विधायक और इस बार के उम्मीदवार अरुण चटर्जी की तो वे गुरुदास चटर्जी के पुत्र है, जिनके मर्डर के बाद उनको सहानुभूति वोट मिले थे जिसकी वजह से पिछली बार जीत की राह आसान हुई थी ।
अगर बात करें क्षेत्र में काम कराने की तो कोई खासा काम नहीं हुआ है, हां लेकिन लोगों से यह जरूर सुनने को मिल जाता है कि लोगों के बीच में व्यवहार और मिलना जुलना बरकरार रखा हुआ था ।
अगर बात करें भाजपा में हाल में सामिल अपूर्णा सेन गुप्ता जिनके पति सुशांत सेन गुप्ता जो एक समाज सेविक और क्षेत्र में पानी से जुड़े हुए विकास कार्य के नीव रखने वालों में आते हैं जिनका राजनीतिक मर्डर कर दिया गया था । उन्हीं की छवि के कारण इस बार अपूर्ण सेनगुप्ता को क्षेत्र में जनता के बीच पसंद किया जा रहा है ।
क्या कहते हैं जमीनी समीकरणों ?
अरूप चटर्जी जहां पिछले 5 साल काम को लेकर सवाल के कटघरे में खड़े हैं तो वही बात करें पूर्णा सेनगुप्ता की तो जमीन पर उनकी खुद की पकड़ तो नहीं लेकिन भाजपा के कार्यकर्ता और उनके पति की सहानुभूति की वजह से माहौल काफी पक्ष में बनता दिख रहा है ।
अशोक मंडल जेएमएम की तरफ से दूसरी बार चुनाव मैदान में है वह राज परिवार से आते हैं और क्षेत्र में करीब 30000 उनके खुद के पॉकेट वोट बताया जा रहा है जिसमे आदिवासी और मुस्लिम वोट उनके खुद के है।
इस एरिया में बाउरी और मंडल ज्यादा है। इस बार MCO के वोट बैंक में JMM के अशोक मंडल सेंट लगा सकते हैं क्योंकि मुस्लिम पहले MCO को वोट करते थे लेकिन कांग्रेस के गठबंधन के वजह से मुस्लिम वोट शिफ्ट हो के JMM की साइड जा रहे है। त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है।