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आखिर क्यों कोर्ट ने की सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर तल्ख टिप्पणी

आपको बता दें कि एनटीसीए प्रोटेस्ट के नाम पर हिंसा भड़काने के आरोप में जेएनयू छात्रा सपुरा जरगर को एक बार फिर कोर्ट से जमानत नहीं मिली है आपको बता दें कि जरगर के वकील ने उन्हें स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मांगी थी। खबरें यह है कि सपुरा जरगर प्रेग्नेंट है और वह जमानत पर बाहर निकल कर घर रहना चाहती हैं लेकिन कोर्ट ने ऐसा करने से मना कर दिया और सपुरा जरगर को जेल में ही रहना होगा।

कोर्ट ने क्या कहा?

आपको बता दें कि उनकी जमानत याचिका पर कोर्ट ने कहा कि भले ही उन्होंने कोई प्रत्यक्ष रूप से हिंसा ना की हो लेकिन उन्होंने गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम (UAPA) अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ जाकर कार्य किया है।  इस दौरान कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण के भी साक्ष्य मिले हैं और प्रथम दृष्टया यह साबित भी होता है कि चक्का जाम के दौरान उनकी साजिश थी।

आपको बता दें कि इस पर जरगर के वकील ने कहा कि वह प्रेग्नेंट है। तो इस पर कोर्ट ने कहा कि उनकी चिकित्सीय व्यवस्था को अच्छी तरीके से सुनिश्चित करने के लिए पुलिस अधीक्षक को निर्देश भी दिया। साथ ही कहा कि उन्हें तिहाड़ जेल प्रशासन अच्छी चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराई जाए। सफूरा जरगर जेएनयू में एमफिल की छात्रा है।

क्या है आरोप?

आपको बता दें कि सरकार के विरोध की आड़ में सफूरा जरगर पर दिल्ली हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप है। आपको बता दें कि 22 फरवरी को जफराबाद मेट्रो स्टेशन पर दूसरा शाहीन बाग बनाने महिलाओं को लेकर सफूरा जरगर ही वहां पर पहुंची,ऐसा पुलिस का कहना है। आपको बता दें कि सीएए और एनआरसी के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में सफूरा जरगर कई बार भड़काऊ भाषण देते हुए भी दिखती हैं। ऐसे उनके कई वीडियो क्लिप भी पाए गए हैं। साथ ही साथ दिल्ली में हुए भयानक दंगों में सफूरा जरगर की भूमिका भी मानी जा रही है क्योंकि कई सबूतों में उनका नाम आया है और दंगा फैलाने वालों के नेटवर्क की वह अहम कड़ी थी।

आपको बता दें कि सफूरा जरगर गैरकानूनी अधिनियम यानी यूएपीए के तहत जेल में बंद है। उन पर दिल्ली दंगों को बढ़ावा देने का आरोप है। साथ ही साथ सीएए और एनआरसी के विरोध की आड़ में हिंसा फैलाने का भी आरोप है।

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