देशभर में अभी कोरोना महामारी का प्रकोप चल रहा है।साथ ही 66 दिनों का लॉक डाउन 31 मई को संपन्न हुआ है। अब देश अन लॉक की तरफ आगे बढ़ रहा है। इस दौरान जन की बात ने आपको सैकड़ों ग्राउंड रिपोर्ट दिखाई और हमने यह बताने की कोशिश की कि जमीनी हकीकत क्या है? लोग सरकार के फैसले को किस तरह से ले रहे हैं? लोग सरकार के फैसले का पालन कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं? इस दौरान जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने करीब 20,000 से अधिक किलोमीटर की यात्रा की। साथ ही प्रदीप भंडारी ने 10 राज्यों की जमीनी हकीकत आपके सामने रखी।
क्या स्तिथि है बंगाल – बिहार की
आपको बता दें कि अभी तक कोरोना काल के दौरान शायद ही किसी ने बंगाल और बिहार की जमीनी हकीकत निष्पक्ष तरीके से आपके सामने रखी हो। लेकिन जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने अपने दौरे के आखिरी चरणों में बंगाल और बिहार राज्य का दौरा अलग तरीके से किया। इस दौरान जन की बात ने यह बताने की कोशिश की। जमीन पर असली हकीकत क्या है? क्या ममता बनर्जी कोरोना के आंकड़ों को छुपा रही हैं या नहीं छुपा रही है? बंगाल में सरकारी सुविधाएं लोगों तक पहुंच रही हैं या नहीं पहुंच रही है। साथ ही बिहार में लौट कर गए प्रवासी मजदूरों की क्या हालत है? बिहार सरकार कोरोना काल में कैसा काम कर रही है? क्योंकि कुछ महीनों बाद ही बिहार में चुनाव है। इन सब प्रश्नों के उत्तर आपको आने वाले 2 दिनों में जन की बात की ग्राउंड रिपोर्ट के माध्यम से मिल जाएंगे।
जन की बात सहायता भी कर रहा
जन की बात की टीम और उसके फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी सिर्फ लोगों की समस्याएं जनता के सामने नहीं रख रहें है। बल्कि जन की बात पीपल्स वेलफेयर फंड के माध्यम से लोगों की समस्याओं का निस्तारण भी कर रहे हैं। आपको बता दें कि जन की बात ने एक मुहिम शुरू की है जिसके तहत हर गरीब और जरूरतमंद लोगों तक हमारी टीम पहुंच रही है और लोगों को जरूरी साधन और सुविधाएं मुहैया करा रही है। इस क्रम में हजारों लोगों को लॉक डाउन के दौरान राशन पैकेट्स बांटे गए। साथ ही कई लोगों को आर्थिक सहायता और स्वास्थ्य सहायता भी प्रदान की गई है।