पिछले 2 महीने से सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच की मांग को लेकर अलग-अलग दलीलें दी जा रही थी। मुंबई पुलिस ने 56 लोगों को समन भेजकर जांच के लिए बुलाया भी था लेकिन लोगों ने उससे सिर्फ एक नाटक बताया। कुछ दिन बाद पटना में FIR दर्ज होने के बाद बिहार पुलिस ने जांच प्रक्रिया शुरू की फिर उस पर भी मुंबई पुलिस ने सवाल उठा दिया कि जब मामला मुंबई में हुआ हैं तो बिहार में FIR दर्ज हो ही नहीं सकता।
बिहार पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी लेकिन मुंबई पुलिस द्वारा जुटाए हुए कोई भी सबूत बिहार पुलिस को नहीं दिए जा रहे थे और ऐसे कई मौके थे जहां पर बिहार पुलिस को कोई भी सहयोग स्थानीय प्रशासन से नहीं मिल रहा था। इन सब के बाद ही CBI को जांच सौंपने की मांग उठने लगी थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्र सरकार का क्या था कहना ?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सराहाते हुए इसको जायज ठहराया है। जो मुंबई पुलिस, बिहार पुलिस पर ये सवाल उठा रही थी कि उनके क्षेत्र से बाहर के मामले में वह FIR दर्ज कैसे कर सकते हैं उसी मुंबई पुलिस पर सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने सवाल उठाया कि बिना FIR दर्ज किए हुए मुम्बई पुलिस 56 लोगों को समन भेजकर पूछताछ कैसे कर रही थी ?
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी दलील दी कि जब पिछले 1 महीने से केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी इस केस से जुड़े मामले की जांच कर रही है तो दूसरे केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को जांच देने में क्या बुराई है। तुषार मेहता ने यह भी कहा कि सीबीआई को केस देने के बाद किसी को भी इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
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