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100 से ज्यादा केस, 44 साल के जुर्म का इतिहास, और फिर मौत, जानिए माफिया डॉन अतीक अहमद की पूरी क्राइम कुंडली

माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद के नाम पर 1985 से अब तक 100 से अधिक मामले दर्ज थे. जबकि 50 मामलों में वह विचाराधीन हैं. 12 अन्य मामलों में वह बरी हो चुका था, जबकि दो मामले साल 2004 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने वापस ले लिए थे. वहीं, अतीक के भाई अशरफ के नाम पर 53 मुकदमे दर्ज थे. जिनमें से एक में उसे बरी कर दिया गया था. जबकि अन्य पर विचार चल रहा है. कुल मिलाकर अतीक एंड फैमिली के खिलाफ 165 केस चल रहे थे.

यूपी के प्रयागराज में शनिवार रात को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पूरा मामला प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज के पास हुआ। अतीक और अशरफ को मेडिकल कॉलेज लेकर आया गया था। यहीं पर उनकी हत्या कर दी गई।

उमेश पाल हत्याकांड में अतीक और उसके भाई अशरफ चार दिन की पुलिस कस्टडी में थे। शनिवार को तीसरे दिन धूमनगंज थाने के लॉकअप में बंद अतीक और अशरफ से एटीएस ने हथियार तस्करी की बाबत पूछताछ की थी। रात लगभग साढ़े दस बजे जब दोनों को रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए कॉल्विन अस्पताल ले जाया जा रहा था, तभी तीन लोग बाइक से आए और ताबड़तोड़ फायरिंग कर अतीक और अशरफ को मौत के घाट उतार दिया। आइए, जान लेते हैं पूर्व बाहुबली विधायक और सांसद अतीक अहमद पूरी क्राइम कुंडली…

17 की उम्र में लगा था हत्या का आरोप

अतीक अहमद की कहानी का आगाज साल 1979 से होता है. उस वक्त इलाहाबाद के चाकिया मोहल्ले में फिरोज अहमद का परिवार रहता था, जो तांगा चलाकर परिवार का गुजर-बसर करते थे. फिरोज का बेटा अतीक हाईस्कूल में फेल हो गया था. इसके बाद पढ़ाई लिखाई से उसका मन हट गया. उसे अमीर बनने का चस्का लग गया. इसलिए वो गलत काम धंधे में पड़ गया और रंगदारी वसूलने लगा. महज 17 साल की उम्र में उसके सिर हत्या का आरोप लग चुका था. उस समय पुराने शहर में चांद बाबा का दौर था. पुलिस और नेता दोनों चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहते थे. लिहाजा, अतीक अहमद को पुलिस और नेताओं का साथ मिला. लेकिन आगे चलकर अतीक अहमद, चांद बाबा से ज्यादा खतरनाक साबित हुआ.

गेस्ट हाउस कांड में अतीक अहमद का नाम

अतीक अहमद का नाम जून 1995 में लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड के मुख्य आरोपियों में से एक था, जिन्होंने मायावती पर हमला किया था. मायावती ने गेस्ट हाउस कांड के कई आरोपियों को माफ कर दिया था, लेकिन अतीक अहमद को नहीं बख्शा. मायावती के सत्ता में आने के बाद अतीक अहमद की उल्टी गिनती शुरू हुई तो जब-जब बसपा सरकार में आई, अतीक हमेशा उनके निशाने पर रहा. मायावती शासन काल में अतीक अहमद पर कानूनी शिकंजा कसने के साथ-साथ उसकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने से लेकर कई बड़ी कार्रवाई हुई थी. यूपी में मायावती सरकार के दौरान अतीक अहमद जेल की सलाखों के पीछे ही रहा. बसपा के दौर में अतीक का दफ्तर गिरवाने के साथ-साथ उसकी संपत्तियां जब्त करवा कर उसे जेल भेजा गया था और प्रयागराज में उसकी राजनीतिक पकड़ को कमजोर ही नहीं बल्कि पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था.

साल 2004 – सांसद बन गया था अतीक

दरअसल, इस हमले और हत्याकांड को समझने के लिए हमें करीब 19 साल पीछे जाना होगा. देश में आम चुनाव हो चुका था. यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से बाहुबली नेता अतीक अहमद ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी. इससे पहले अतीक अहमद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक थे. लेकिन उनके सांसद बन जाने के बाद वो सीट खाली हो गई थी. कुछ दिनों बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ. इस सीट पर हुए सपा ने सांसद अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने अशरफ के सामने राजू पाल को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया. जब उपचुनाव हुआ तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया.

25 जनवरी 2005 – राजू पाल हत्याकांड

उपचुनाव में अशरफ की हार से अतीक अहमद के खेमे में खलबली थी. लेकिन धीरे-धीरे मामला शांत हो चुका था. मगर राजू पाल की जीत की खुशी ज्यादा दिन कायम ना रह सकी. पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद ही 25 जनवरी 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव नाम के दो लोगों की भी मौत हुई थी. जबकि दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस सनसनीखेज हत्याकांड ने यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया था. इस सनसनीखेज हत्याकांड में सीधे तौर पर तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सामने आया था.

राजूपाल की पत्नी पूजा पाल ने दर्ज कराई थी FIR

दिन दहाड़े विधायक राजू पाल की हत्या से पूरा इलाका सन्न था. बसपा ने सपा सांसद अतीक अहमद के खिलाफ धावा बोल रखा था. उसी दौरान दिवंगत विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने थाना धूमनगंज में हत्या का मामला दर्ज कराया था. उस रिपोर्ट में सासंद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम को नामजद किया गया था. मामला दर्ज हो जाने के बाद पुलिस ने मामले की छानबीन शुरु कर दी थी.

मुख्य गवाह था उमेश पाल

इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस में उमेश पाल एक अहम चश्मदीद गवाह था. जब केस की छानबीन आगे बढ़ी तो उमेश पाल को धमकियां मिलने लगी थीं. उसने अपनी जान खतरा बताते हुए पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर उमेश पाल को यूपी पुलिस की तरफ से सुरक्षा के लिए दो गनर दिए गए थे.

6 अप्रैल 2005

विधायक राजूपाल हत्याकांज की जांच पड़ताल और छानबीन में जुटी पुलिस ने रात दिन एक कर दिया था. पुलिस ने इस हत्याकांड की विवेचना करने के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

12 दिसंबर 2008

इसके बाद इस मामले में जांच और सुनवाई चलती रही. लेकिन राजू पाल का परिवार इस मामले की छानबीन से संतुष्ट नहीं था, लिहाजा इस मामले की जांच सीबी-सीआईडी को सौंपी गई थी.

10 जनवरी 2009

सीबी-सीआईडी ने पांच आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था. उसमें मुस्तकिल मुस्लिम उर्फ गुड्डू, गुल हसन, दिनेश पासी और नफीस कालिया को आरोपी बनाया गया था.

22 जनवरी 2016

सीबी-सीआईडी की जांच से भी राजू पाल का परिवार नाखुश था. निराश होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामले को सुनने के बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फरमान सुनाया था.

20 अगस्त 2019

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजू पाल हत्याकांड में नए सिरे से मामला दर्ज किया और छाबनीन शुरू कर दी. करीब तीन साल विवेचना करने के बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.

1 अक्टूबर 2022

दिवंगत विधायक राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई करते हुए सीबीआई कोर्ट की स्पेशल जज कविता मिश्रा ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए. इस हत्याकांड में पूर्व सांसद अतीक अहमद के भाई पूर्व विधायक अशरफ सहित अन्य लोग शामिल थे. सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या की साजिश और हत्या के प्रयास में आरोप तय किए गए थे. हालांकि, कोर्ट के सामने आरोपियों ने आरोपों से इनकार करते हुए ट्रायल की मांग की थी. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट में आरोपी अशरफ और फरहान को जेल से लाकर पेश किया गया था. जबकि जमानत पर चल रहे रंजीत पाल, आबिद, इसरार अहमद और जुनैद खुद आकर कोर्ट में पेश हुए थे.

24 फरवरी 2023

दरअसल, इस हमले में मारा गया उमेश पाल प्रयागराज के राजूपाल हत्याकांड का अहम चश्मदीद था. उसकी गवाही पर ही बाहुबली अतीक अहमद समेत सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. उमेश पाल को पहले भी धमकियां मिली थी. यही वजह है कि उसे यूपी पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर दो सुरक्षाकर्मी यानी गनर उपलब्ध कराए थे. लेकिन शुक्रवार को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उमेश पाल पर पूरी तैयारी के साथ जानलेवा हमला किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. पुलिस अब पूरे मामले की छानबीन कर रही है.

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Vipin Srivastava
Vipin Srivastava
journalist, writer @jankibaat1

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