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बिहार का बाहुबली आनंद मोहन, आज़ाद भारत का पहला नेता जिसे मिली थी फांसी की सजा

बिहार में कोसी की धरती पर पैदा हुए आनंद मोहन सिंह बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव में पैदा हुए। उनके दादा राम बहादुर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। राजनीति से उनका परिचय 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान हुआ।

बिहार में 1990 के दशक में आनंद मोहन की तूती बोलती थी। उनपर हत्या, लूट, अपहरण, फिरौती, दबंगई समेत दर्जनों मामले दर्ज हैं। 1996 में लोकसभा चुनाव हुए। उस वक्त आनंद मोहन जेल में थे। जेल से ही उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर शिवहर से चुनाव लड़ा और जनता दल के रामचंद्र पूर्वे को 40 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। 1998 में फिर उन्होंने शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर। ये चुनाव भी उन्होंने जीत लिया। 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी आनंद मोहन खड़े हुए, लेकिन हार गए।

अनंत सिंह, सूरजभान सिंह, शहाबुद्दीन, आनंद मोहन, सुनील पांडेय और रामा सिंह जैसे बाहुबली नेताओं के नाम से आज भी बिहार के लोगों में सिरहन पैदा हो जाती है। इन्हीं बाहुबलियों में एक नाम है दबंग और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह का, जो अभी जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे, लेकिन अब वो रिहा होने वाले हैं। वो आजाद भारत के पहले ऐसे राजनेता हैं, जिन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन बाद में उसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया।

बताते चलें कि 1994 में बिहार पीपल्स पार्टी (BPP) का नेता और गैंगस्टर छोटन शुक्ला पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। उसकी शवयात्रा में हजारों की भीड़ जमा हुई थी, जिसकी अगुआई आनंद मोहन कर रहे थे। इसी दौरान भीड़ पर काबू पाने निकले गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैय्या को आनंद मोहन ने उनकी गाड़ी से निकाला और भीड़ के हाथों सौंप दिया। सरेआम उनपर पत्थर बरसाए गए और उन्हें गोली मार दी गई। कृष्णैय्या की हत्या के आरोप में आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई गई थी , बाद में उसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया।

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Chandan Kumar Pandey
Chandan Kumar Pandeyhttp://jankibaat.com
Chandan Pandey has 5 year+ experience in journalism field. Visit his twitter account @Realchandan21

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