जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी ने राष्ट्रपति द्वारा नामित राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता का अपनी ट्विटर पर साक्षात्कार श्रंखला के तहत साक्षात्कार लिया। जिसमें राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता ने बंगाल के बारे में कई मुद्दों पर बातचीत की।
प्रदीप भंडारी ने राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता से पूछा कि बंगाल से जिस तरह के वीडियो निकाल कर आ रहे है। कोरोना से मृत्यु के बाद मृत शरीर के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है। इस पर स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि यह बिल्कुल सच है कि बंगाल में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही है। पश्चिम बंगाल की सरकार ने तो लॉकडाउन का पालन भी नहीं कराया। आज भी बंगाल में बसों में लोग लटक कर यात्रा कर रहे है। और पश्चिम बंगाल के लोगों को डर है, कि जिस तरह से लॉकडाउन में भी बाजार खोले गए इससे राज्य में बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज सामने आ सकते है। पश्चिम बंगाल में प्रबंधन सही तरीके से ना होने के कारण ही पुलिस और डॉक्टर दोनों हड़ताल पर चले गए थे। जिसका यह परिणाम था।
आगे प्रदीप भंडारी ने पूछा कि जब मैं जमीन पर पश्चिम बंगाल के मालदा आदि क्षेत्रों में लोगों से बातचीत कर रहा था तो लोगों को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों में विश्वास नहीं है तो केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल सरकार को गाइड भी कर सकता है। तो स्वप्नदासगुप्ता ने बताया जब कोरोना के बीच अंफान-तूफान आया तो केन्द्र सरकार के द्वारा पश्चिम बंगाल में टीमों को भेजा गया। टीमों ने राज्य सरकार के ऊपर सोशल डिस्टेंसिंग आदि को लेकर सवाल उठाएं। जिसके बाद उन्हें 3 दिन के अंदर ही बंगाल से बाहर भेज दिया गया जैसे कि किसी और देश से आए हो। जब भी डिसास्टर मैनेजमेंट एक्ट लगता है तो राज्य और केंद्र सरकार एक दूसरे के साथ समन्वय स्थापित करती है। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार को केंद्र के ऊपर विश्वास ही नहीं है। यहां कोलकाता में 250 से अधिक कंटेंटमेंट ज़ोन है। जिसमें कई इलाकों में तो केवल घरों को ही रस्सी से कवर किया गया है।
प्रदीप भंडारी ने पूछा जिस तरीके से दिल्ली में जब कोरोना स्थिति खराब हुई तो केंद्र सरकार में कमान अपने हाथ में ली। क्या ऐसे पश्चिम बंगाल की मदद नहीं ही सकती? स्वप्न दासगुप्ता ने जवाब दिया कि जिस तरीके से उत्तर प्रदेश सरकार के पास जब मेडिकल इक्विपमेंट की कमी पड़ी तो राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी ऐसा ही कुछ उड़ीसा की नवीन पटनायक सरकार ने किया। लेकिन बंगाल सरकार अपने एटीट्यूड के कारण हाथ पर हाथ रख कर बैठी हुई है।
जिस तरीके से तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि दिल्ली में जहां एक करोड़ लोगों पर 18000 को उनके मामले हैं वही बंगाल में केवल 997 मामले है। इस पर स्वप्न दासगुप्ता ने जवाब देते हुए कहा कि बंगाल में कई सारे मामले आए है। जहां रहस्यमय तरीके से लोगों को जलाने और दफनाने के मामले सामने आए है। पश्चिम बंगाल के उत्तर में अलीपुरद्वार में तो इसके ऊपर दंगा भी हो चुका है। जहां तक बात दिल्ली और बंगाल की है तो कोरोना वायरस के टेस्टों में भी एक बड़ा अंतर है।
जब प्रदीप भंडारी ने सोमित्रो खान के बारे में पूछा कि भाजपा के पश्चिम बंगाल के यूथ विंग अध्यक्ष है। जो कि पूर्व में टीएमसी और कांग्रेस में भी रह चुके है। तो इस पर स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि जैसा कि आप देखेंगे पश्चिम बंगाल की राजनीति में पिछले 30 साल से ज्यादा लोग सीपीएम से जुड़े या फिर तृणमूल कांग्रेस से जुड़े। कई बार लोगों की विचारधारा इन पार्टियों से मेल नहीं खाती है तो वह अपनी समानांतर विचारधारा वाली पार्टियों में जाते है। जैसा कि आपने पूर्व उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी देखा होगा।
स्वप्न दासगुप्ता ने आगे कहा कि बंगाल “नो होप” स्टेट बन गया है। क्योंकि आप देखेंगे जो पश्चिम बंगाल का युवा है वह बाहर जा रहा है। ज्यादातर यूनिवर्सिटी का राजनीतिकरण कर दिया गया।