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लोगों ने कहा लॉकडाउन नहीं होता तो बीमारी और बढ़ जाती।: प्रदीप भंडारी की रिपोर्ट

 

देशभर में इस वक़्त लॉक डाउन का माहौल चल रहा है। लेकिन इसके बीच जन की बात की टीम और उसके फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी लगातार देश के दूरदराज गांवों से आपको जमीनी स्थिति से अवगत करा रहे हैं। इसी के संबंध में प्रदीप भंडारी पहुंचे उत्तर प्रदेश के सबोड़ा गांव में जहां पर उन्होंने ग्रामीण वासियों से जानना चाहा कि लॉक डाउन और कामकाज पर उनकी क्या राय है।

मजदूरों का पलायन

जब जन की बात के फाउंडर एंड सीईओ प्रदीप भंडारी सबोड गांव में पहुंचे तो उन्होंने पाया कि शहरों से मजदूर अपने गांव की तरफ वापस रुख किए हैं। तो वहीं पर गांव के बुजुर्ग लोगों का कहना था की सरकार की सुविधाएं तो मिल नहीं है लेकिन सभी को नहीं मिल रही है। लेकिन हां अधिकतर छोटे लोगों को जो जरूरतमंद है उनको सरकार की सुविधाएं पूरी मिल रही है। ₹500 भी खाते में आए हैं और और राशन भी मिल रहा है।

इस दौरान प्रदीप भंडारी ने गांव के ही एक हरिंदर नामक मजदूर से बात की जो कि जेवर में चिनाई का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि इनका काम जब से लॉक डाउन हुआ है तब से बंद तो हो गया है। लेकिन यह फिर भी लॉक डाउन के समर्थन में है और कह रहे हैं कि लॉकडाउन अच्छे के लिए किया गया है। बीमारी खत्म हो जाएगी काम फिर शुरू हो जाएगा।

लॉकडाउन पर एक राय

गांव के लोगों की लॉक डाउन पर एक राय थी। लॉकडाउन बढ़ना चाहिए और जब तक बीमारी ठीक ना हो जाए तब तक लॉक डाउन रहना चाहिए।

जब प्रदीप भंडारी ने एक युवा से बात की तो उन्होंने कहा कि लोग लोग डाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कर रहे हैं। इसी दौरान प्रदीप भंडारी ने एक और युवक से बात की जो कि नोएडा में जॉब करते हैं लेकिन काम बंद होने की वजह से अपने गांव आ गए हैं। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन तब तक रहना चाहिए जब तक बीमारी खत्म ना हो जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि मंडियों को लेकर के कुछ दिक्कतें हैं फसल अभी तक घर पर रखी हुई है। लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही यह बिक जाएगी।

 

गांव के लोग लॉकडाउन पर पूर्ण समर्थन दे रहे हैं। हालांकि सरकार से गुजारिश है कि जो सामान ब्लैक पर मिल रहा है उस पर भी रोक लगाए सरकार।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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