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कंगना रनौत के तथाकथित अवैध ऑफिस पर चला बीएमसी का अवैध बुलडोजर

महाराष्ट्र में ऐसा लग रहा है जैसे महाराष्ट्र सरकार का गैर कानूनी काम करना और बदले की भावना से कार्यवाही करना उनका अधिकार बन गया है। पहले तो महाराष्ट्र सरकार सुशांत को न्याय दिलाने में विफल रही और सुशांत के हत्यारों की मदद करती रही। पुलिस ने पूरे मामले में 2 महीने से एक भी एफआईआर नहीं दर्ज किया और फिर मामला सीबीआई को गया और फिर जैसे ही सीबीआई, ईडी और एनसीबी ने जांच संभाली एक के बाद एक परतें खुलना शुरू हो गई। एनसीबी ने तो 10 से 12 दिन के अंदर ड्रग्स मामले में रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार भी कर लिया, सारा खुलासा कर दिया।

फिर उसके बाद में कंगना राणावत ने महाराष्ट्र सरकार पर जमकर हमला बोला और महाराष्ट्र सरकार कंगना के हमले से इतना बौखला गई कि उसने कंगना राणावत के ऑफिस को तुड़वा दिया। सबसे बड़ी बात कंगना राणावत ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधना शुरू किया और जैसे ही कंगना राणावत के निशानों से महाराष्ट्र सरकार बौखलाई तुरंत सबसे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना नेता संजय राउत ने कंगना रनौत को लाइव टीवी पर गाली दी और अपशब्द कहे। ऐसा लगा कि उनकी इस गालियों को सीएम उद्धव ठाकरे का समर्थन हासिल है ,क्योंकि उद्धव ठाकरे ने संजय राउत के गाली देने के ठीक 2 दिन बाद ही उनको पार्टी का चीफ स्पोक्सपर्सन बना दिया। इससे एक बात साफ हो गई कि मुख्यमंत्री संजय राउत से खुश है।

आज सुबह ही बीएमसी ने कंगना रनौत का मुंबई में ऑफिस तोड़ दिया। आपको बता दें कि यह सब कार्यवाही करीब 36 घंटे के अंदर ही हुई है। जब कंगना ने महाराष्ट्र सरकार को ललकारा उसके बाद में कंगना के ऑफिस पर बीएमसी की टीम पहुंच गई और वहां पर नोटिस चिपका दिया। सबसे बड़ी बात कि कंगना के घर में अंदर की बनावट को लेकर बीएमसी ने नोटिस दिया और कहा कि 24 घंटे के अंदर कंगना सारे दस्तावेज पेश करें ,अगर उन्होंने परमिशन लेकर के बनवाए हैं। सबसे पहली गलती तो बीएमसी यहीं पर कर गई कि कंगना रनौत शहर में हैं ही नहीं और उनको सिर्फ 24 घंटे का नोटिस दिया। उसके बाद में कंगना के मुंबई ना रहने पर भी आज सुबह ही बीएमसी ने बुलडोजर से कंगना राणावत का ऑफिस तोड़ दिया। सबसे बड़ी बात आज कंगना मुंबई पहुंचने वाली है और यह जानते हुए भी बीएमसी ने बिना उनकी उपस्थिति के उनके घर पर कार्यवाही की। दूसरी बात मामला कोर्ट में है और कोर्ट में वर्तमान में सुनवाई भी चल रही है। बीएमसी ने कोर्ट की सुनवाई का भी इंतजार नहीं किया। जिससे साफ पता चलता है कि यह कार्यवाही बदले की भावना से है और गैरकानूनी भी हो सकती है। सबसे बड़ी बात हाई कोर्ट ने इस पर स्टे पर लगा दिया है।उसके बाद भी बीएमसी ने बिना हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार किए कार्यवाही की।

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