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माखनलाल बिंदरू की बेटी ने आतंकियों को दिया करारा जवाब ,कहा- माखनलाल बिंदरू का शरीर गया है उनकी सोच जिंदा है

माखनलाल की बेटी ने कहा कि, अगर मैं आंसू बहाती हूं तो यह बंदूकधारियों के लिए ट्रिब्यूट जैसा होगा, मैं उनका हौंसला नहीं बढ़ाऊंगी। वहीं समृद्धि ने कहा कि अच्छा होता अगर आतंकी ऐसे कामों की बजाए अपनी एनर्जी किसी भले काम में लगाते ताकि चैन से जी तो पाते। वहीं उन्होंने कहा कि मुझे मेरे पिता ने कहा था कि कभी डर कर मत जीना क्योंकि इससे जीना मुश्किल हो जाएगा और मरना तो एक दिन है ही।

कश्मीर घाटी में एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों के ऊपर जानलेवा हमलों की वारदात बढ़ने लगी है। आतंकी एक बार फिर से कश्मीर को अशांत करने की हर संभव कोशिशों को अंजाम देने से पीछे नहीं हट रहे है। ताजा मामला मंगलवार को सामने आया जब  आतंकवादियों ने 3 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी।

हैरान करने वाली बात तो यह है की इन हत्याओं में  श्रीनगर के इकबाल पार्क इलाके के प्रतिष्ठित केमिस्ट माखनलाल बिंद्रू पर किया गए हमले ने सबको सतब्द कर दिया है। आपको बता दें कि, माखनलाल को उनकी मेडिकल शॉप में घुसकर आतंकियों ने मार डाला। 68 साल के बिंद्रू उन चुनिंदा लोगों में से एक थे, जिन्होंने 90 के दशक में भी कश्मीरी पंडितों पर हमले होने के बाद भी कश्मीर को नहीं छोड़ा था।

श्रीनगर में माखनलाल के बारे एक बात बहुत मशहूर थी की जो दवा कहीं नहीं मिलेगी, वो बिंद्रू की दुकान पर मिलेगी। माखनलाल बिंद्रू पर लोगों को इतना भरोसा था, कि वे लोग दुकान के आगे घंटों लाइन लगाकर खड़े रहते थे। क्योंकि स्थानीय लोग को मानना था कि, बिंद्रू के यहां कभी नकली दवा नहीं मिलेगी। साथ ही उनकी प्रतिष्ठा हिंदू-मुस्लिम, युवाओं और बुजुर्गों में एक समान थी।

उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट करके जताया दुख

माखनलाल बिंद्रू की पहचान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, उनकी मौत पर जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट किया। उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में लिखते हुए कहा कि, ‘क्या भयावह खबर है! वह बहुत दयालु आदमी थे। मुझे बताया गया है कि उग्रवाद के चरम के दौरान भी वह छोड़ कर नहीं गए और अपनी दुकान खुली रखते थे। मैं इस हत्या की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं और उनके परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।’

कौन थे माखनलाल और क्या था उनका फैमली बैकग्राउंड?

आपको बता दें कि माखनलाल व उनका परिवार कई पीढ़ी से दवाइयों का बिजनेस करता आ रहा है। उनकी दुकान श्रीनगर के मेन बाजार लाल चौक के पास है। वह बेहद प्यार और इज्जत से बात करते थे। लोग दवाइयों के लिए उनके यहां घंटो लाइन लगाकर खड़े रहते थे। कश्मीरी पंडितों के लेकर एक बात प्रसिद्ध है कि वह डुप्लीकेट या एक्सपायरी दवा नहीं  बेचेंगे। बिंद्रू साहब को लेकर, सबका यही भरोसा था। 90 के दशक के पहले दवाइयों का 90 फीसदी बिजनेस कश्मीरी पंडित करते थे। अभी कश्मीर में 11-12 फॉर्मेसी हैं, जिसे कश्मीरी पंडित चला रहे है।

आखिर माखनलाल की हत्या करके क्या साबित करना चाहते हैं आतंकवादी? 

आतंकवादी हमेशा ऐसी चीजों को निशाने बनाते हैं जिनके माध्यम से आतंकी देश में एक आतंक को लेकर एक बड़ा संदेश दे सकें, यहां भी यही हुआ एक प्रतिष्ठित आदमी की हत्या कर, इस बार बिंद्रू साहेब की हत्या कर दहशत फैलाने की कोशिश की गई है।

मीडिया रिपोर्ट के माध्य से यह जानकारी मिल रही है कि, माखनलाल बिंद्रू की जहां दुकान थी, वहां करीब में ही एसएसपी ऑफिस है, जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेट्री का ऑफिस है। श्रीनगर एयरपोर्ट रास्ते में होने से वीआईपी मूवमेंट हमेशा रहता है। ऐसे में 2 आदमी का काउंटर पर जाकर बिंद्रू की हत्या करना कई सवालिया निशान लगा रहे है।

इस समय क्या है घाटी में कश्मीरी पंडितों की स्थिति

रिपोर्ट के माध्यम से मिल रही जानकारी के अनुसार इस समय कश्मीर घाटी में पुश्तैनी 800 हिंदू और कश्मीरी पंडितों के परिवार हैं। इसके अलावा बाहर से आकर यहां काम करने वाले 3565 हिंदू हैं। यूपीए सरकार के समय 2009 में दिए गए पैकेज के जरिए 4000 लोग घाटी में आए थे। कुल मिलाकर करीब 10 हजार हिंदू और कश्मीरी पंडित हैं। इसके अलावा अभी 77 हजार परिवार यानी करीब 3 लाख लोग बाहर है।

अब तक कुल इतने कश्मीरी पंडितों की हो चुकी है हत्या 

लगातार कश्मीरी पंडितों पर हो रहे हमले रोकने का नाम नहीं ले रहे हैं। घाटी में होने वाली हिंसक घटनाओं पर अगर आप ध्यान दे तो आंकड़े हैरान करने वाले है। आपको बता दें कि, 15 मार्च 1989 से लेकर अब तक 730 कश्मीरी पंडितों की हत्या हो चुकी है। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार स्थानीय कश्मीरी पंडितों के 500 बच्चों को अभी तक नौकरी नहीं मिल पाई है। जबकि 1990 से पहले 60-70 फीसदी, कश्मीरी पंडित सरकारी नौकरी में थे।  हाल ही में केंद्र सरकार ने वेबपोर्टल के जरिए विस्थापित कश्मीरी पंडितों के प्रॉपर्टी के लिए डिटेल मांगनी शुरू की है।

 

कश्मीरी पंडितों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

1:- घाटी में पुश्तैनी 800 हिंदू और कश्मीरी पंडितों के परिवार हैं। इसके अलावा यहां काम करने वाले 3565 हिंदू हैं। जबकि 4000 लोग 2009 के पैकेज के जरिए घाटी में आए थे। 

2:- कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अनुसार 15 मार्च 1989 से लेकर अब तक 730 कश्मीरी पंडितों की हत्या हो चुकी है। 

3:- इसके पहले 2003 में आतंकवादियों ने बेरहमी से 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी थी। 

4:- 1990 में कश्मीरी पंडितों पर हुए हमले के बाद 77 हजार परिवार तकरीबन 3 लाख लोग कश्मीर छोड़कर चुके है।

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Sombir Sharma
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Sombir Sharma - Journalist

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