अनुप्रिया, जन की बात
कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने कई बार ऐसे बयान दिए हैं जिससे उनके ऊपर काफी सवाल खड़े होते हैं। हिंदू धर्म को लेकर के कांग्रेस के कई नेताओं ने ऐसी अनर्गल बयानबाजी की है जिससे पार्टी की तो फजीहत हुई ही है और उसे चुनाव में नुकसान भी उठाना पड़ा है। अब सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक में विवादित शब्द लिखा है।
26/11 के पीछे हिंदुओं का हाथ: मुंबई हमले के बाद कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसके पीछे हिंदू संगठनों की साजिश का दावा किया था. दिग्विजय के इस बयान का पाकिस्तान ने खूब इस्तेमाल किया और आज भी जब इस हमले का जिक्र होता है तो पाकिस्तानी सरकार दिग्विजय के हवाले से यही साबित करती है कि हमले के पीछे आरएएस का हाथ है. दिग्विजय के इस बयान पर उनके खिलाफ कांग्रेस ने कभी कोई कार्रवाई या खंडन तक नहीं किया. इसके अलावा तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पी चिदंबरम ने हिन्दू आतंकवाद का मुद्दा उछाला था और अमेरिकी अधिकारियों को सौंपे डोजियर में भी हिन्दू आतंकवाद का जिक्र किया गया था.
मंदिर जाने वाले करते हैं छेड़खानी: राहुल गांधी ने कहा था कि लोग लड़कियां छेड़ने के लिए मंदिर जाते हैं. इस बयान से कांग्रेस की काफी फजीहत हुई थी और आज तक विपक्ष इसको लेकर कांग्रेस पर निशाना साधता है।
राम सेतु पर हलफनामा: 2007 में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि चूंकि राम, सीता, हनुमान और वाल्मीकि वगैरह काल्पनिक किरदार हैं. इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है. जब बीजेपी ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया, तब जाकर मनमोहन सरकार को पैर वापस खींचने पड़े.हालांकि बाद के दौर में भी कांग्रेस रामसेतु को तोड़ने के पक्ष में दिखती रही.
हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़ा: इससे पहले हिंदू के साथ आतंकवाद शब्द कभी इस्तेमाल नहीं होता था. मालेगांव और समझौता ट्रेन धमाकों के बाद कांग्रेस सरकारों ने बहुत गहरी साजिश के तहत हिंदू संगठनों को इस धमाके में लपेटा और यह जताया कि देश में हिंदू आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है. इस केस में जिन बेगुनाहों को गिरफ्तार किया गया वो इतने सालों तक जेल में रहने के बाद बेकसूर साबित हो रहे हैं.
राम की तुलना इस्लामी कुरीति से: तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने इसकी तुलना भगवान राम से की. यह तय है कि कपिल सिब्बल ने यह बात अनजाने में नहीं, बल्कि बहुत सोच-समझकर कही. उनकी नीयत भगवान राम का मज़ाक उड़ाने की है. कोर्ट में ये दलील देकर कांग्रेस ने मुसलमानों को खुश करने की कोशिश थी.
सोमनाथ मंदिर का विरोध: कांग्रेस ने हिंदुओं के सबसे अहम मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर को दोबारा बनाने का विरोध किया था. कांग्रेस का कहना था, सरकारी खजाने का पैसा मंदिर निर्माण में नहीं लगना चाहिए, जबकि इस समय तक हिंदू मंदिरों में दान की बड़ी रकम सरकारी खजाने में जमा होनी शुरू हो चुकी थी. जबकि उसी समय बाबरी, काशी विश्वनाथ और मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के विवादों को भी हल किया जा सकता था, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं होने दिया.
बीएचयू में हिंदू शब्द से ऐतराज: कांग्रेस के तत्कालीन बड़े नेताओं को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदू शब्द पर आपत्ति थी. इसके लिए उन्होंने महामना मदनमोहन मालवीय पर दबाव भी बनाया था. जबकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से दोनों को ही कोई एतराज नहीं था.
हज के लिए सब्सिडी : ये कांग्रेस सरकार ही थी जिसने हज पर जाने वाले मुसलमानों को सब्सिडी देने की शुरुआत की. दुनिया के किसी दूसरे देश में ऐसी सब्सिडी नहीं दी जाती, जबकि कांग्रेस सरकार ने अमरनाथ यात्रा पर खास तौर पर टैक्स लगाया. इसके अलावा हिंदुओं की दूसरी धार्मिक यात्राओं के लिए भी बुनियादी ढांचा कभी विकसित नहीं होने दिया गया. अब मोदी सरकार के आने के बाद उत्तराखंड के चारों धाम को जोड़ने का काम शुरू हुआ है. कांग्रेस ने मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था, जबकि हिन्दुओं को खुश करने के लिए कांग्रेस ने कभी इस तरह के काम नहीं किए.
90% मुस्लिम करें मतदान : मध्य प्रदेश में कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ का कहना था, अगर 90% मुसलमानों ने मतदान नहीं किया तो कांग्रेस का जीतना मुश्किल हो जाएगा. मध्य प्रदेश में ही कांग्रेस के वचनपत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं को बंद करने की बात कही गई है.