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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के “चतुर सेक्युलरिज्म” वाले बयान पर प्रदीप भंडारी का मुकदमा

महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे के अल्टीमेटम के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी पर बाल ठाकरे को धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने भाजपा को अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे को धोखा देते हुए देखा है इसलिए वह खुद भारतीय जनता पार्टी के साथ चतुराई से काम कर रहे हैं। वे हिंदुत्व की आड़ में खेले गए ‘खेल’ को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

सोमवार को जनता का मुकदमा के प्राइम टाइम शो में प्रदीप भण्डारी ने इसी मुद्दे पर मुकदमा किया.

प्रदीप भंडारी ने कहा कि, ‘आज हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विश्व के नेता प्रधानमंत्री मोदी जब बर्लिन जर्मनी पहुंचे तो उनके भव्य स्वागत में महिलाओं ने पठानी साड़ी पहनकर लेज़िम बजाकर उनका स्वागत किया तो वहीं पुरुषों ने ढोल पथक बजाकर उनका स्वागत किया. कुछ लोगों ने महान छत्रपति शिवाजी महाराज जी की पोशाक पहनकर अपनी संस्कृति पर गर्व का प्रतीक दिया. यह महाराष्ट्र के लोग व मुंबई के रहने वाले हो या बर्लिन के, हमारी संस्कृति के प्रति प्यार है. अगर एक तरफ देश में यह दृश्य देखा तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को अपने आप को “चतुर सेक्यूलर कहते हुए देखा”. मैं चतुर सेकुलरवादी से पूछना चाहता हूं, जो पहले हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब के आदेशों वाले पक्के हिंदुत्ववादी थे, की क्या चतुर सेक्यूलर वादी सरकारे राज ठाकरे के मंदिर और मस्जिद से लाउडस्पीकर हटाने की अपील से घबरा चुकी है ? अगर यूपी में हिंदुत्ववादी न्याय पूर्ण शासन में अगर लाउडस्पीकर मंदिर और मस्जिद से हटाए जा सकते हैं तो चतुर सेकुलर वादी महाराष्ट्र की सरकार में क्यों नहीं? क्या वोट बैंक खतरे में पड़ जाएगा?

सच बात यह है कि चतुर सेक्यूलर वादी घबरा गए हैं, राज ठाकरे की रैली में आई भीड़ को देखकर घबरा गए, यह राणा दंपत्ति को सार्वजनिक हनुमान चालीसा पढ़ने पर मिले जनसमर्थन को देखकर घबरा गए है कि हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे के महाराष्ट्र में अभी तक पालघर साधुओं की निर्मम हत्या को नहीं भूला है.

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